Indian Constitution is  social revolution

सामाजिक क्रांति का दस्तावेज है भारतीय संविधान

By Ritu Bhiva February 7, 2022 02:13 0 comments

भारतवर्ष को समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व के एक सूत्र में बांधने वाला सामाजिक क्रान्ति का दस्तावेज है भारतीय संविधान।  हम सब के लिए अत्यंत हर्ष एवं गौरव की बात है कि 26 नवम्बर को पिछले वर्षो से संविधान दिवस के रूप में मनाने की परंपरा की शुरूआत केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा की गयी है।  "भारतीय संविधान के निर्माता, जिन्होंने भारत को समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व के एक सूत्र में बांधने वाला सामाजिक क्रान्ति का दस्तावेज है भारतीय संविधान" दिया उन्हे सिर्फ शोषित, वंचित, पिछड़ो के नेता तक ही सीमित करना जातिगत मानसिकता का परिचायक है।  हमारा राष्ट्र भारतवर्ष एक गणतंत्र राष्ट्र बना जिनके संघर्षो, त्याग, समर्पण की वजह से ये सम्भव हो पाया वो है - आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक, परमपूज्य, बोधिसत्व, भारत रत्न, महामानव, बाबा साहेब डा अम्बेडकर जी के बदौलत। शायद आप इस सत्य से अंन्जान है या जानना नहीं चाहते पढ़िए ध्यान से संविधान ने आपके जीवन में किस तरह से क्रांति ला दी।

"जिस सामाजिक क्रांति की बदौलत भारत के संविधान का निर्माण हुआ,उसमे छत्रपति साहूजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले जी,नारायण गुरु जी और परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न महानायक बाबा साहेब डा. भीमराव आम्बेडकर जी का बहुत बड़ा योगदान था। इन तमाम महापुरुषों के संघर्षो के बाद परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जी के संघर्षो के बदौलत भारत वर्ष  में जो सामाजिक क्रांति आई, वह एकमात्र कारण है जिससे भारत के संविधान का निर्माण हुआ। यह नहीं होता और भारतीय संविधान नहीं होता तो लोगो के मूलभूत अधिकारों की गारंटी भी न होती। यानी बोलने की, लिखने की, अपनी मर्ज़ी से पेशा चुनने की, संगठन खड़ा करने की, अच्छे कपड़े पहनने, मीडिया चलाने की आज़ादी नहीं होती। जातिगत भेदभाव को गलत नहीं माना जाता, छुआछूत को कानून में अपराध घोषित नहीं किया जाता, स्त्री स्वतंत्रता की बात कौन करता।

"परमपूज्य बाबा साहेब आंबेडकर जी ने आजाद भारत में सभी वर्गो की भागीदारी सुनिश्चित की। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। भारत के संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में लिखी गई है। भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित और कॉलीग्राफ्ड थी। इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था। संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24, जनवरी, 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए और दो दिन बाद इसे लागू किया गया था। मूल प्रति हीलियम से भरे गैस में रखी गई है। आज देश को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में विश्व में सम्मान की निगाह से देखा जाता है।   

संविधान दिवस क्या है और क्यों मनाया जाता है?


भारतीय संविधान दिवस की शुरूआत 2015 से हुई क्योंकि 2015 में भारतीय संविधान के निर्माता परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जी के जंन्म के 125वें साल के रूप में मनाया गया था। तब से आज तक नियमित मनाया जा रहा है। आज संविधान को लागू  हुए देश को लगभग 70 वर्ष का समय हो गया है। आपको बता दें कि भारतीय संविधान 26,नवम्बर, 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा  संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था।  सबसे खास बात यह है कि विश्व में भारत वर्ष का संविधान सबसे बड़ा है, इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचिया और 94 संसोधन शामिल हैं। 29,अगस्त, 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली प्रारूप समिति की स्थापना हुई जिसमें अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की नियुक्ति हुई।

25, Nov 1949 को बाबासाहेब जी ने संविधान सभा में भाषण देते हुए कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो वह अपने आप लागू नहीं होता है, उसे लागू करना पडता है। ऐसे में जिन लोगो के ऊपर संविधान लागू करने की जिम्मेदारी होती है, यह उन पर निर्भर करता है कि वो संविधान को कितनी इमानदारी और प्रभावी ढंग से लागू करते है। भारतीय संविधान को अपनाने से ठीक एक दिन पहले यानि 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा को सम्बोधित करते हुए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने लोकतंत्र के पक्ष में अपना यादगार भाषण दिया था। वो संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। उनका यह भाषण आज 70 वर्षों बाद भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना तब था।

संविधान सभा में बाबा साहेब के ऐतिहासिक वक्तव्य  {25,नवंबर,1949} का एक अंश


"हमें सिर्फ राजनीतिक लोकतंत्र से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हमें अपने राजनीतिक लोकतंत्र को सामाजिक लोकतंत्र भी बनाना चाहिए। राजनीतिक लोकतंत्र तब तक स्थायी नहीं हो सकता, जब तक इसकी बुनियाद में सामाजिक लोकतंत्र न हो। सामाजिक लोकतंत्र का अर्थ क्या है? इसका अर्थ है एक ऐसी जीवन शैली, जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को जीवन का मूल सिद्धांत मानती हो। इसकी शुरुआत इस तथ्य को मान्यता देकर ही की जा सकती है कि भारतीय समाज में दो चीजें सिरे से अनुपस्थित हैं। इनमें एक है समानता। सामाजिक धरातल पर, भारत में एक ऐसा समाज है जो श्रेणीबद्ध असमानता पर आधारित है। और आर्थिक धरातल पर हमारे समाज की हकीकत यह है कि इसमें एक तरफ कुछ लोगों के पास अकूत संपदा है, दूसरी तरफ बहुतेरे लोग निपट भुखमरी में जी रहे हैं।"

   

भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण विशेषता

भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं। यह लिखित और विस्तृत है। यह लोकतांत्रिक सरकार है निर्वाचित सदस्य। मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता, एकल राष्ट्रीयता, भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है। राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं, केंद्र एक बौद्ध 'Ganrajya' के समान है, बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव, भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है।

दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है। पड़ोसी देशों में से एक भूटान ने भी भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार कर लिया है। भारत, संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुतासंपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।  यह गणराज्य भारतीय संविधान द्वारा शासित है। भारतीय संविधान, संविधान सभा द्वारा 26, नवंबर,1949 को पारित हुआ और 26, जनवरी,1950 से प्रभावी हुआ।

आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक, महानायक डॉ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी को आज भारत ही नहीं पूरा विश्व भी एक आइडियल व्यक्ति मानता है और उनका गुणगान भी करता है। किंतु कुछ जातिगत मानसिकता से ग्रस्त लोग डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी से नफरत करते हैं, और उनके वर्ग विशेष से जोड़ने की कोशिश करतें हैं, लेकिन बाबासाहेब आंबेडकर जी को पढ़ने के बाद ये पता चलता है कि बाबासाहेब आंबेडकर जी ने अंखड भारत के लिए जो किया है शायद वो कोई कर पाए। तो ऐसे थे डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर। आज वे हमारे बीच नही है, पर उनके द्वारा किये गए कार्यों, संघर्षों और उनके उपदेशों से हमेशा वे हमारे बीच जीवित है।

आधुनिक भारत के महानतम समाज सुधारक और सच्चे महानायक, लेकिन भारतीय जातिवादी मानसिकता ने सदा ही इस महापुरुष की उपेक्षा ही की गई। भारत में शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति ऐसा हो, जिसने देश के निर्माण, उत्थान और प्रगति के लिए थोड़े समय में इतना कुछ कार्य किया हो, जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी ने किया है और शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति हो, जो निंदा, आलोचनाओं आदि का उतना शिकार हुआ हो, जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी हुए थे। बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान के तहत कमजोर तबके के लोगों को जो कानूनी हक दिलाये है, इसके लिए बाबा साहेब आंबेडकर जी को कदम-कदम पर काफी संघर्ष करना पड़ा था। हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए आधुनिक भारत के निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था।  हम लोग गणतंत्र के महानायक परमपूज्य बाबा साहेब डा. बी. आर. अम्बेडकर का हमेशा ऋणी रहेगा जिन्होंने समता समानता पर आधारित दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान दिया।

लेखक :  अमित गौतम, जनपद रमाबाई नगर, कानपुर

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