Indian Constitution Drafting Committee

संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष बने बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर, एक लेख

By Site Admin September 7, 2022 04:31 0 comments

संविधान निर्माण के इतिहास में 29 अगस्त का दिन एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में दर्ज है। 29.08.1947 के दिन ही संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर की अध्यक्षता में एक प्रारुप मसौदा समिति (Drafting Committee) का गठन किया था।  प्रारुप मसौदा समिति के अध्यक्ष बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर थे।

सदस्यगण

1. एन. गोपाल स्वामी आयंगर - ये आजादी के पहले कश्मीर के प्रधानमंत्री थे। (कांग्रेस)
2. अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर - ये मद्रास के एडवोकेट जनरल थे। (निर्दलीय)
3. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी - ये एक साहित्यकार थे। इन्हें संविधान सभा में ऑर्डर ऑफ बिजनेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। (कांग्रेस)
4. बी. एल. मित्र - ये एडवोकेट जनरल थे। (निर्दलीय)
5. डी. पी. खेतान - ये एक प्रसिद्ध वकील थे। (कांग्रेस)
6. सय्यद मोहम्मद सादुल्लाह - इस समिति के सदस्य और असम के पूर्व मुख्य मंत्री थे। (मुस्लिम लीग)

स्थानापन्न

बी. एल. मित्र (बीमारी के कारण इस्तीफा) की जगह एन. माधव राव
डी. पी. खेतान (देहांत) की जगह पर टी. टी. कृष्णाचारी

इसके बावजूद किसी सदस्य का बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी को संविधान का प्रारूप बनाने में विशेष सहयोग नहीं मिला था।

प्रारूपण समिति के लिए संविधान सभा के सलाहकार सर बी. एन. राव द्वारा तैयार संविधान का प्रारूप (जिसमें 243 अनुच्छेद, 13 अनुसूचियां थीं) का पुनरीक्षण का कार्य सौंपा गया। प्रारूप समिति द्वारा निर्मित संविधान 21 फरवरी 1948 को परिचालित किया गया। यह संविधान सभा के भीतर और बाहर विचार विमर्श का आधार बना। इसमें 315 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं।
 
इसे 4 नवम्बर 1947 को बाबा साहेब अम्बेडकर ने पुनः स्थापित किया। प्रारूप संविधान के लिए कुल 7,635 संशोधन प्रस्तावित किए गए इनमें से 2,478 संशोधन सभा में वास्तव में प्रस्तुत किए गए। प्रारूपण समिति की 141 वैठकें हुई।  बाबा साहेब या प्रारूपण समिति के सदस्यों ने कभी यह दावा नहीं किया कि संविधान उन्होंने बनाया है। हमारा संविधान, सम्मिलित प्रयास का परिणाम है। यह एक कठिन कार्य था जिसमें अनेक लोगों के श्रम की आवश्यकता थी। यह अनेक व्यक्तियों का संयुक्त प्रयास है और इसमें अनेक दृष्टिकोण प्रतिबिंबित होते हैं।

संविधान सभा ने प्रक्रिया संबंधी विषयों के लिए 10 और अधिष्ठायी विषयों के संबंध में 11 समितियां बनाई थीं। उप-समिति और तदर्थ समितियां भी अनेक थीं। बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर का योगदान विशाल  सर्वाधिक और प्रशंसनीय था। जिसकी प्रशंसा संविधान सभा के सभापति और अन्य सदस्यों ने की है।  बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर संविधान सभा की लगभग सभी समितियों के सदस्य थे :

प्रकार्य समिति, राष्ट्रध्वज तदर्थ समिति, सलाहकार समिति, मूल अधिकार उपसमिति, अल्पसंख्यक उपसमिति, संघ संविधान समिति और उच्चतम न्यायालय तदर्थ समिति।

संविधान सभा की महत्वपूर्ण समितियाँ और उनके अध्यक्ष

1. प्रक्रिया विषयक नियमों संबंधी समिति
2. संचालन समिति
3. वित्त एवं स्टाफ समिति
4. राष्ट्रीय ध्वज संबंधी तदर्थ समित
उपरोक्त चारों समितियों के अध्यक्ष मा. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे।

5. संघीय शक्तियों संबंधी समिति
6. संघीय संविधान समिति
7.राज्यों  संबंधी समिति
उपरोक्त तीनों समितियों के अध्यक्ष मा. जवाहरलाल नेहरु थे।

8. मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यकों एवं जनजातीय और अपवर्जित क्षेत्रों संबंधी सलाहकारी समिति
9. राज्यों तथा रियासतों से परामर्श समिति
10. प्रान्तीय संविधान समिति
उपरोक्त चारों समितियों के अध्यक्ष मा. वल्लभभाई पटेल थे।

11. प्रत्यय-पत्र संबंधी समिति
12. प्रारूप संविधान का परीक्षण करने वाली समिति
 उपरोक्त दोनों समितियों के अध्यक्ष मा. अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर थे।

13. आवास समिति के अध्यक्ष मा. बी. पट्टाभि सीतारमैय्या थे।
14. कार्य संचालन संबंधी समितिके अध्यक्ष मा. के. एम. मुन्शी थे।
15. संविधान सभा के कार्यकरण संबंधी समिति के अध्यक्ष मा. जी. वी. मावलंकर थे।
16. मौलिक अधिकारों संबंधी उप-समिति के अध्यक्ष मा. जे. बी. कृपलानी थे।
17. पूर्वोत्तर सीमांत जनजातीय क्षेत्रों और आसाम के अपवर्जित और आंशिक रूप से अपवर्जित क्षेत्रों संबंधी उपसमिति के अध्यक्ष मा. गोपीनाथ बारदोलोई थे।
18. अपवर्जित और आंशिक रूप से अपवर्जित क्षेत्रों (असम के क्षेत्रों को छोड़कर) संबंधी उपसमिति के अध्यक्ष मा. ए. वी. ठक्कर थे।
19. झण्डा समिति अध्यक्ष के अध्यक्ष मा. जे. बी. कृपलानी थे।
20. सर्वोच्च न्यायलय से संबधित समिति के अध्यक्ष मा. एस. एच. वर्धाचारियर थे।
21. प्रारूप समिति ड्राफटिंग मसौदा समिति के अध्यक्ष मा. डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे।
22. संविधान समीक्षा आयोग के अध्यक्ष मा. एम. एन. बैक्टाचेलेया थे।
23. अल्पसंख्यकों के उप-समिति के अध्यक्ष मा. एच. सी. मुखर्जी थे।

संविधान सभा निर्वाचन :

संविधान सभा का निर्वाचन प्रांतीय विधान सभा के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से हुआ था। यह कैबिनेट योजना द्वारा बनाई गई स्कीम के अधीन था। इस स्कीम के मुख्य लक्षण इस प्रकार थे:

प्रत्येक प्रांत और देशी रियासत (या जहां छोटी रियासतें थीं वहां उनका समूह) को अपनी जनसंख्या के अनुपात में स्थानों का आबंटन किया गया। मोटे तौर पर 10 लाख की जनसंख्या पर 1 स्थान आबंटित हुआ। परिणामस्वरूप प्रांतों को 292 सदस्य निर्वाचित करने थे। देशी रियासतों को कम से कम 93 स्थान मिलने थे। प्रत्येक प्रांत में स्थानों का वितरण तीन समुदायों के बीच उनकी जनसंख्या के अनुपात में किया गया।
 
ये तीन समुदाय थे : मुस्लिम, सिक्ख और साधारण। प्रांतीय विधान सभाओं में प्रत्येक समुदाय के प्रतिनिधियों ने आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल अंतरणीय मत से सदस्यों का निर्वाचन किया। देशी रियासतों में चयन किस प्रकार हो यह परामर्श से तय होना था। वास्तव में अधिकांश रियासतों में शासक द्वारा सदस्य नामनिर्दिष्ट किए गए।

3 जून 1947 की योजना के अधीन पाकिस्तान के लिए एक पृथक् संविधान सभा बनी। बंगाल, पंजाब, सिंध, पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत, बलूचिस्तान और असम के सिलहट जिले के सदस्य भारत की संविधान सभा के सदस्य नहीं रहे।
 
संविधान सभा के निर्वाचन में बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर मुस्लिम लीग की सहायता से बंगाल से निर्वाचित हुए। विभाजन के पश्चात् उनकी सदस्यता समाप्त हो गई। बाबासाहेब के प्रयासों से और अंग्रजों के दबाव के कारण  डॉ. राजेंद्र प्रसाद और सरदार पटेल ने मुंबई के मुख्यमंत्री बी. जी. खेर को लिखा कि एम. आर. जयकर के त्यागपत्र से जो स्थान रिक्त हुआ है उस पर डॉ. भीम राव अम्बेडकर को निर्वाचित कराया जाए। नहीं तो सब काम बेकार हो जायेगा।  इस प्रकार वे पुनः 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा के सदस्य बने।

(i) 292 सदस्य प्रांतीय विधान सभाओं के माध्यम से निर्वाचित हुए
(ii) 93 सदस्यों ने भारतीय शाही रियासतों का प्रतिनिधित्व किया
(iii) 4 सदस्यों ने मुख्य आयुक्त प्रांतों का प्रतिनिधित्व किया

 
कुल सदस्य 389 हुए। तथापि, 3 जून, 1947 की माउन्टबेटेन योजना के परिणाम स्वरूप विभाजन के पश्चात् पाकिस्तान के लिए एक पृथक संविधान सभा का गठन हुआ और कुछ प्रांतों के प्रतिनिधियों की संविधान सभा से सदस्यता समाप्त हो गई। जिसके फलस्वरूप सभा की सदस्य संख्या घटकर 299 हो गई।
20 नवंबर 1946 को वाइसराय ने सदस्यों को संविधान सभा के पहले अधिवेधन में उपस्थित होने का निमंत्रण भेजा। अविभाजित भारत के लिए जो संविधान सभा गठित हुई थी और जो पहली बार 09.12.1946 को समवेत हुई थी, इसमें अस्थाई अध्यक्ष डा. सच्चिदानंद सिन्हा (डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बाद में संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष बने), जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, आचार्य जे. बी. कृपलानी, डॉ, राजेन्द्र प्रसाद, श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्री हरे कृष्ण महताब, पं. गोविन्द वल्लभ पंत, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर, श्री शरत चंद्र बोस, श्री सी. राजगोपालाचारी और श्री एम. आसफ अली एवं नौ महिलाओं समेत दो सौ सात सदस्य उपस्थित थे।
 
इसी का अधिवेशन 14 अगस्त 1947 को बुलाया गया और यही विभाजित स्वतंत्र भारत के लिए (जिसे ‘डोमिनियन आफ इंडिया’ नाम दिया गया था) प्रभुत्व-संपन्न संविधान सभा बन गई और ठीक मध्यरात्रि में स्वतंत्र भारत की विधायी सभा के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। बंगाल, पंजाब, सिंध, पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत आदि का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य संविधान सभा के सदस्य नहीं रहे। इस प्रक्रिया में बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर का स्थान भी रिक्त हो गया क्योंकि वे बंगाल से निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्हें मुंबई के कांग्रेस विधायक दल ने चुनकर भेजा।

संविधान सभा की इस बात के लिए प्रशंसा की जाती है कि उसके सभी विनिश्चय ध्वनि मत से पारित हुए, कोई विभाजन नहीं हुआ। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सभी विनिश्चय एकमत या पूर्ण सहमति से पारित हुए। प्रारूप संविधान 4 नवंबर 1947 को पुन: स्थापित हुआ (प्रथम वाचन 4-9 नवंबर, 1948)।

दूसरा वाचन : 15.11.1948 - 17.10.1949 या जिसे खंडशः विचारण कहते हैं। इसमें अनेक अधिवेशन हुए। 8 प्रमुख समितियां बनाई गई जिन्हें विशिष्ट कार्य सौंपे गए इसके अतिरिक्त कुछ गौण समितियां भी बनाई गई थीं। प्रारूप समिति का काम, प्रारूप संविधान के बारे में विभिन्न समितियों के विचार और प्रतिवेदन को प्रभावी करना था। इस प्रकार प्रारूप समिति की स्वतंत्रता सीमित थी।

तृतीय वाचन : (14.11.1949--26.11.1949) 26.11.1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे। तब इसमें 22 भाग, 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां थीं। वर्तमान समय में संविधान में 25 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष, 11 महीना और 18 दिन लगे। इस कार्य पर लगभग 6.4 करोड़ रुपये खर्च हुए। कुछ उपबंध 26 नवम्बर 1949 को प्रभावी हो गए इसी तारीख का उद्देशिका में उस तारीख के रूप में उल्लेख किया गया है जिस तारीख को भारत के लोगों ने इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया।  संविधान के शेष उपबंध 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुए। इस तारीख को संविधान के प्रारंभ की तारीख कहा गया है। 1949 में अंगीकृत संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं।

संविधान सभा के सत्र

पहला सत्र : 9-23 दिसंबर, 1946
दूसरा सत्र : 20-25 जनवरी, 1947
तीसरा सत्र : 28 अप्रैल - 2 मई, 1947                                     
चौथा सत्र : 14-31 जुलाई, 1947
पाँचवां सत्र : 14-30 अगस्त, 1947
छठा सत्र : 27 जनवरी, 1948
सातवाँ सत्र : 4 नवंबर, 1948 - 8 जनवरी, 1949
आठवाँ सत्र : 16 मई-16 जून, 1949
नौवां सत्र : 30 जुलाई-18 सितंबर, 1949
दसवां सत्र : 6-17 अक्टूबर, 1949
ग्यारहवां सत्र : 14-26 नवंबर, 1949


26 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान अंगीकृत किया गया। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई। कुल 284 सदस्यों ने भारत के संविधान पर अपने हस्ताक्षर संलग्न किए। 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हो गया। उस दिन संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया और इसका रुपांतरण नई संसद के गठन (1952) तक अस्थाई सांसद (संसद) के रूप में हो गया। सम्पूर्ण संविधान सभा की कार्रवाई को देखते हुए और संविधान सभा-अध्यक्ष सहित सभी प्रमुख लोगों के द्वारा बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर के योगदान की सराहना से साबित होता है कि वाकई बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माता हैं।

संकलन कर्ता : डॉ. जी. पी. मानव

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