यदि साहेब कांशीराम नहीं होते और बहुजन समाज पार्टी ना होती तो
By Manoj Bhiva February 19, 2022 02:54 0 commentsमैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यदि बसपा का गठन न हुआ होता और बहुजन समाज ने बसपा को अपनी पार्टी न माना होता तो मीरा कुमारी लोकसभा की अध्यक्ष, सुशील कुमार शिन्दे भारत के गृहमंत्री, नारायणन साहेब और महामहिम रामनाथ कोविंद साहेब भारत के कभी राष्ट्रपति नहीं बने होते। यदि यकीन नहीं होता तो 1984 के पहले की आप लिस्ट चेक कर लीजिए क्योंकि बसपा 1984 में बनी उसके बाद ही ये सब लोग इन पदों तक पहुंचे।
रामबिलास पासवान केन्द्र सरकार में स्थाई मंत्री नहीं बन पाते और राम दास उठावले से कभी भाजपा का गठबंधन न हुआ होता, सही बात कहूं तो श्री रामनाथ कोविंद भारत के प्रथम नागरिक न बनाये गये होते न ही मण्डल कमीशन लागू हुआ होता, क्योंकि मंडल कमीशन लागू करो वर्ना गद्दी खाली करो ये नारा कांशीराम साहेब ने ही दिया था 1991 में, और साथ में वी. पी. सिंह को धमकी की यदि मंडल कमिशन लागू नहीं किया तो आपकी सरकार गिरा दूंगा। लेकिन ये नौबत नहीं आई मंडल कमिशन लागू करने के कारण कांग्रेस ने ही सरकार गिरा दी। और न ही बाबा साहब अम्बेडकर को भारत रत्न मिलता, और न ही सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय गठित हुआ होता, और न ही sc/st भर्ती की स्पेशल ड्राइव निकलती, और न ही अम्बेडकर जयंती की छुट्टी होती। और ना ही चमचों का भाव बढ़ता। ये बात दलित चमचों को भी समझनी चाहिए कि जितना ही स्वतंत्र बहुजन आंदोलन तेज होगा, बाजार में स्वतः दलित चमचों की मांग बढ़ जाएगी। न ही संसद भवन में बाबा साहब अम्बेडकर का चित्र लगता ना ही साहब कांशी राम जी पार्क होता ना अम्बेडकर पार्क और ना ही नोएडा में गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी होती और न ही लखनऊ का शांति उपवन बुद्ध बिहार होता।
ये झोला छाप चमचे जो चार दिन मै हीरो बन रहे हैं ये अब भी कहीं ना कही दरी बिछाने का काम कर रहे होते और तुम्हारा राज़नैतिक वजूद जीरो होता तब तुम्हे भाजपा, कोंग्रेस, आप, शिवसेना वा अन्य मनुवादी राजनैतिक दल कभी घास भी नहीं डालते।
आई बात समझ में और अगर नहीं आई तो बार बार पढो क्योंकी जो लोग आज बसपा और कांशीराम मायावती की बुराई करने में लगे है निश्चित रूप में वे अंबेडकरवादी और बुद्धिस्ट नहीं हो सकते। क्योंकि लोकतंत्र के 70 साल के इतिहास में इस देश में कई मुख्यमंत्री हुए उनमें से एक मायावती है। कई पार्टियों के मुख्यमंत्री हुए उनमें से बसपा का मुख्यमंत्री अकेले यूपी में हुआ। किसी अंधे को भी अगर पूरा यूपी घुमा दिया जाए तो वो कहेगा की यूपी में अंबेडकरवाद और बुद्धिवाद की स्थापना जितनी मायावती ने की उतनी किसी मुख्यमंत्री ने किसी राज्य में नहीं की। फिर भी कुछ लोगो को जो आंख और अक्ल दोनों से अंधे है उनको ये सब नहीं दिखता तो मायावती क्या करें। जो लोग आज मायावती पे उंगली उठाते है, अच्छा होता वो अपने घरों में एक एक मायावती पैदा करे। जिन अंबेडकरवादियों को ये ही पता नहीं है कि लड़ना किसके खिलाफ है वो क्या ख़ाक बाबा साहेब के सपनों का भारत बनायेगे। समाज को ऐसे झोला छाप और अधकचरे अंबेडकरवादियों से सदैव सावधान रहना चाहिए।
एक बार मोदी जी ने कहा था कि दलित मंद बुद्धि होते है, और योगी ने हनुमान की तरह। फिर भी नहीं आता समझ में । आंख के साथ साथ अक्ल के अन्धों, सोचो और विचार करो।
दलित चमचों से अपील है कि अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए समाज को गुमराह ना करे। आप भी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बने लेकिन मायावती और बसपा को खत्म करके नहीं, भाजपा और कांग्रेस को खतम करके बनो, अगर अपने को मायावती से बड़ा अंबेडकरवादी मानते हो तो। नहीं तो मनुवादियों की चौखट पे जूठन चाटो क्योंकि तुम इसी लायक हो। बहुजन समाज से अपील है कि ऐसे चमचों की नस्ल की पहचान के लिए मान्यवर कांशीराम साहेब द्वारा लिखी गई चमचायुग पुस्तक जरूर पढ़ें।
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