Ambedkar Jayanti 2022: जानिए हम जय भीम क्यों कहते हैं?
By Manoj Bhiva April 12, 2022 10:04 0 commentsबाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के साथ भावनात्मक संबंध रखने वाले लोग एक दूसरे से मिलते वक्त जयभीम कहते हैं। डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर का मूल नाम भीमराव रामजी आंबेडकर था। जयभीम केवल अभिवादन का शब्द नहीं है बल्कि आज यह अम्बेडकर आंदोलन का नारा बन गया है। अम्बेदकरवादी आंदोलन के कार्यकर्ता इस शब्द को आंदोलन की संजीवनी कहते हैं। अभिवादन और सम्मान का शब्द कैसे क्रांति का प्रतीक बना, इसका सफर भी दिलचस्प है। ये नारा कैसे उत्पन्न हुआ और कैसे पूरे भारत में भर फैल गया? जय भीम का नारा सबसे पहले अंबेडकर आंदोलन के कार्यकर्ता बाबू हरदास एल. एन. ने 1935 में दिया था।
बाबू हरदास सेंट्रल प्रोविंस बरार परिषद के विधायक थे और बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों का पालन करने वाले एक प्रतिबद्ध कार्यकर्ता थे। महाराष्ट्र में डॉक्टर अंबेडकर ने जिन दलित नेताओं को आगे बढाया, बाबू हरदास उनमें से थे। रामचंद्र शीर्ष सागर की पुस्तक दलित मूवमेंट इन इंडिया एंड लीडर्स में दर्ज है की बाबू हरदास ने सबसे पहले जय भीम का नारा दिया था। जय भीम का नारा अस्तित्व में कैसे आया? इस सवाल के जवाब में दलित पैंथर के सहसंस्थापक जेवी पवार कहते हैं कि बाबू हरदास ने कमाठी और नागपुर क्षेत्र से कार्यकर्ताओं का एक संगठन बनाया था। उन्होंने इस बल के स्वयंसेवकों को नमस्कार, रामराम या जौहर माया बाप की जगह है, जय भीम कहकर एक दूसरे का अभिवादन करने और जवाब देने के लिए कहा था।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि जयभीम के जवाब में बाल भीम कहा जाना चाहिए जैसे मुसलमान सलाम वालेकुम का जवाब देते समय वालेकुम सलाम कहते हैं पवार ने राजा ढाले नाम देवडा साल के साथ काम किया है और दलित पैंथर पर उनकी किताब भी प्रकाशित हुई हैं। अम्बेडकर के जीवनकाल में ही जयभीम का अभिवादन शुरू हुआ। सत्र न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और इधरव में दलित आंदोलन के विद्वान सुरेश घोरपडे बताते हैं कि बाबू हरदास किशोरावस्था से ही सामाजिक कार्यों में रुचि रखते थे। उन्हें जयभीम प्रवर्तक के नाम से जाना जाता है। उन्होंने ग्रामीण इलाकों के छात्रों को आवास प्रदान किया। उन्होंने मेहनत मजदूरी करने वाले छात्रों के लिए रात्रिकालीन स्कूलों की शुरुआत की। उन्होंने अंग्रेजी पढाना शुरू किया। लेखक नरेंद्र जाधव बताते हैं कि बाबा साहेब अंबेडकर का नाम भीमराव रामजी अंबेडकर था। उनके नाम को संक्षिप्त रूप में जब आपने की प्रथा शुरू में महाराष्ट्र में आम थी और धीरे धीरे इसे पूरे भारत में जयभीम कहा जाने लगा।
डॉक्टर जाधव ने अंबेडकर अवेकनिंग इंडिया सोशल कॉन्शसनेस नामक किताब लिखी है। इस किताब को अंबेडकर का वैज्ञानिक चरित्र खा जाता है। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक उत्तम कांबले कहते हैं कि जयभीम सिर्फ अभिवादन नहीं है, यह एक समग्र पहचान बन गया है। इस पहचान के विभिन्न स्तर हैं। जयभीम संघर्ष का प्रतीक बना एक सांस्कृतिक पहचान के साथ साथ एक राजनीतिक पहचान भी बन गया है। इसके साथ ही जयभीम आंदोलन का भी प्रतीक बन गया है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार मधु कांबले को जयभीम शब्द अंबेडकर आंदोलन में तत्पर्ता का प्रतीक लगता है। मधु कांबले ने कहा कि जयभीम कहना सिर्फ नमस्कार- नमस्ते की तरह नहीं है। यह आसान नहीं है बल्कि इसका मतलब है कि वह आंबेडकरवादी विचारधारा के करीब है। ये शब्द बताता है कि जहाँ भी लडने की जरूरत होगी मैं लडने के लिए तैयार हूँ। जय भीम का नारा हिंदी भाषी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी आसानी से सुना जा सकता है। अम्बेडकर के विचार पंजाब में भी फैले हुए हैं। उत्तर प्रदेश में युवा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने अपने संगठन का नाम भीम आर्मी रखा है। जब दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून यानी सी. ए. ए. के खिलाफ प्रदर्शन हुआ तो मुस्लिम समुदाय के प्रदर्शनकारियों ने डॉक्टर अंबेडकर की तस्वीरें लहराएं। ये संकेत है कि जय भीम का नारा किसी एक समुदाय और भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है।
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