यह फ़ोटो एक अंग्रेज ने 1920 में खिंची थी। जिसमे बताया गया है कि एक Cast Girl (वर्ण व्यवस्था में सम्मलित महिला) दूसरी Out Cast (वर्ण व्यवस्था से बाहर की महिला) को पानी पिलाते हुए। अब यह "Cast Girl" ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय या यहाँ तक कि "शुद्र" महिला हो सकती है क्योंकि वर्ण व्यवस्था में यह चारो वर्ण ही होते हैं। इसलिए मैं बार-बार कहता हूं कि अछूत जातिया वर्ण व्यवस्था का जब हिस्सा नही रही है तब वो शुद्र कैसे हो गयी? शुद्र वर्तमान की ओबीसी जातिया है। वर्तमान की अछूत जातिया शुद्र नही बल्कि "अछूत जाति" कहलाती थी इसलिए जिसे दूर से पानी पिलाया जा रहा है उसे अंग्रेज अधिकारी ने "out cast" लिखा है।
वास्तव में अछूत अथार्त अनूसूचित जातियो का ब्राह्मण धर्म से सम्बन्ध नही रहा है, यहाँ तक कि "हिन्दू शब्द" तक का ब्राह्मण धर्म से सम्बन्ध नही रहा है। इसलिए धार्मिक ग्रन्थों में "हिन्दू शब्द" यूज नही हुआ है क्योंकि हिन्दू शब्द एक एरिया विशेष जो कि सिंधुघाटी एरिया जो कि सिंधु नदी से बनी है उसके आसपास व उससे आगे रहने वाले लोगो के लिए अरब से आने वाले व्यापारियों ने यूज किया था। इसलिए दयानन्द सरस्वती ने "हिन्दू को अपने लिए यूज गाली की संज्ञा" दी थी। इस एरिया में रहने वाले सभी को हिन्दू कहा जाता था।
अभी कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 1893 में शिकागो (अमरीका) में हुए विश्व के धर्मो के सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद के हिस्सा लेने को याद किया था। अब इस सम्मेलन पर उस समय लिखी किताब की प्रति ऑनलाइन उपलब्ध है, खरीदे, उस धर्म सम्मलेन के logo को देखे उस "Logo" में "हिन्दू धर्म" नही बल्कि "ब्राह्मण धर्म" लिखा हुआ था।
वास्तव में भारत मे डॉक्टर अम्बेडकर ने सबसे हाशिये पर खड़े शोषित समाज की लड़ाई शुरू की और जब यह दिखने लगा कि भारत मे चुनावी प्रणाली आने वाली है व 1907 में चेम्सफोर्ड योजना में मुस्लिम व को अलग राजनीतिक आरक्षण जिसे अलग निर्वाचन प्रणाली कहा जाता है कि शुरुआत हुई तब यह दिख गया कि आने वाले समय मे जिसकी जनसँख्या ज्यादा होगी वो राज करेंगे, इसलिए ब्राह्मण धर्म व अनुसूचित जाति व जनजाति को संयुक्त रूप से "हिन्दू" कहा जाने लगा। यह 19 वी सदी में हुआ। वर्ण व्यवस्था "ब्राह्मण धर्म" से सम्बंधित रही है इसलिए "अछूत जातियो व आदिवासियो" का इससे सम्बन्ध नही रहा है।
इसलिए, अनुसूचित जातीयो को मैं समझाता रहता हूँ कि तुम ज़बरदस्ती फर्जी तरीके से अपने आप को "शुद्र" कहकर ओबीसी की लड़ाई अपने कंधों पर मत लिया करो व बेफालतू में "देवी देवताओं व ब्राह्मण व अन्य" हाय-हाय करने में समय न लगाएं। यह ब्राह्मण व शुद्र अथार्त ओबीसी जातियो का आपसी विवाद है। उसे जबरदस्ती अपने ऊपर न ले।
डॉक्टर अम्बेडकर इसे जानते थे इसलिए अंतिम समय मे "धर्म के चक्कर मे समाज न पड़े" बौद्ध धर्म स्वीकार करके स्थाई तौर पर बता गए कि इन चक्करों में न पड़े व "शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो"
वास्तविक तथ्य को समझना चाहिए।
लेख : विकास कुमार जाटव
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