सर्वप्रथम आदिवासी दिवस की मानव विकास संस्थान की ओर से भारत सहित समस्त दुनिया के " जल,जंगल ,जमीन के संरक्षण में सदैव से लगे हुए, प्रकृति के सच्चे रखवाले, लोककला(लोक संस्कृति) के ध्वजवाहक, प्रकृति के सच्चे सेवक आदिवासी भाई-बहनों को हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएं। वैसे तो आदिवासी का मतलब भौगोलिक क्षेत्र के स्थानीय प्राचीनतम निवासी होता है। जिन्हें भारत में संवैधानिक तौर पर सूची बद्ध किए हैं, अनुसूचित जन जाति कहलाती हैं।
9 अगस्त 1982 से प्रतिवर्ष विश्व आदिवासी दिवस (International Tribal Day) मनाया जाता हैं। आपको बता दें, कि 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने आदिवासियों के भले के लिए एक कार्यदल गठित किया था जिसकी बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। उसी के बाद से संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने अपने सदस्य देशों में प्रतिवर्ष 9 अगस्त को ‘विश्व आदिवासी दिवस’ मनाने की घोषणा की थी। आदिवासियों के लिए नहीं? यह पूरे देश के लिए दिवस अहम है। जिस स्थिति में आदिवासी समुदाय अपना जीवन यापन करते हैं। उस बारे में सोचकर भी शायद आप हैरान रह जाएं। दुनिया भर में रहने वाले लगभग 37 करोड़ आदिवासी समुदायों के सामने जंगलों का कटना और उनकी पारंपरिक जमीन की चोरी सबसे बड़ी चुनौती है। वे धरती पर जैव विविधता वाले 80 प्रतिशत इलाके के संरक्षक हैं। लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लोभ, हथियारबंद विवाद और पर्यावरण संरक्षण संस्थानों की वजह से बहुत से समुदायों की आजीविका खतरे में हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग का असर हालात को और खराब कर रहा है। विश्व आदिवासी दिवस पर ‘राष्ट्रीय अवकाश’ की मांग ज़ोरो पर है।
जनजातियां विभिन्न तरह की हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वे 90 देशों में फैली हैं। 5,000 अलग अलग संस्कृतियां और 4,000 विभिन्न भाषाएं, इस बहुलता के बावजूद या उसकी वजह से ही उन्होंने एक तरह के संघर्ष झेले हैं। चाहे वे ऑस्ट्रेलिया में रहते हों, जापान में या ब्राजील में, उनका जीवन दर कम है। गैर आदिवासी समुदायों की तुलना में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बहुत कम है। उनकी आबादी दुनिया की 5 प्रतिशत है। भारत में एक सौ सैंतीस करोड़ आबादी में 7.5% है। लेकिन गरीबों में उनका हिस्सा 15 प्रतिशत है। आज भी बहुत पिछड़े हैं।
भारत देश में आदिवासियों के लिए संविधान में बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी ने संविधान के अनुच्छेद 342 में आदिवासियों के विकास के लिए आरक्षण (प्रतिनिधित्व) की व्यवस्था की है, किन्तु आजादी के 75 वर्षो बाद भी सरकारों ने उचित व्यवस्था नहीं की है। मानव विकास संस्थान चाहता है कि माननीय भारत सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक सुरक्षा सहित आधुनिक रोजगारों से जोड़कर कर आदिवासियों को समुन्नत बनाया जाय।
लेखक : डॉ. जी. पी. मानव
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