एससी एसटी ओबीसी के खत्म होते जा रहे अधिकार वापस कैसे मिलेंगे?
By Ritu Bhiva April 16, 2022 05:56 0 commentsएससी एसटी ओबीसी के खत्म होते जा रहे अधिकार वापस कैसे मिलेंगे? कैसे शासन प्रशासन में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्राप्त होगा? आपका यह भी निर्देश है कि हम किसी धर्म का विरोध या प्रचार न करें, सिर्फ इन वर्गों के अधिकार बहाली पर ही फोकस करें, आपकी शिकायत है कि मैं धर्म के विरोध से बाज नहीं आता। आपका कहना है कि एससी एसटी ओबीसी वर्ग में जब तक धर्म का विरोध या समर्थन की बात नहीं होती थी तब तक ये वर्ग मजबूत होते जा रहे थे। आप यह भी मानते हैं कि जब से धर्म के समर्थक सत्ता में पैर गाड़ते चले गए तब से हम पैदल होते चले गए।
आपकी अंतिम लाइन से ही शुरू करते हैं कि जब से धर्म के समर्थक सत्ता में पैर गाड़ते चले गए हम पैदल होते चले गए, हमारे पैदल होने का कारण हमारा धार्मिक होना ही है यह बात जब तक हमारे लोग नहीं समझेंगे तब तक पैदल ही रहेंगे हमारे शोषण की जड़ें धर्म में ही हैं यदि ब्राह्मण धर्म ने शूद्रों को अधिकार वंचित न किया होता तो संविधान में उनको एससी एसटी ओबीसी वर्ग बनाकर आरक्षण का प्रावधान ही न करना पड़ता धर्म का विरोध करने के पीछे यही कारण है वास्तव में आप जिसे धर्म कह रहे हैं वह धर्म नहीं बल्कि शोषण पर आधारित ब्राह्मण वर्चस्ववादी सामाजिक व्यवस्था है जिसे धर्म मानकर ढोने का मतलब आपको ब्राह्मणों का वर्चस्व स्वीकार है आप उस व्यवस्था में गुलाम हैं शूद्रों को उनके धर्मानुसार जितना मिलना चाहिए वह मिल ही रहा है तो अधिकारों का रोना धोना क्यों?
आपको अधिकार चाहिए समतावादी संविधान के अनुसार और मजबूत करेंगे धार्मिक बनकर विषमता वादी मनु विधान को। आपके धार्मिक बनने के कारण ही धर्म जिन ब्राह्मणों के हाथों में सारी शक्तियां देता है संविधान को लागू करने की शक्ति भी उन्हीं के हाथ में आ गई है उनमें कितना न्यायिक चरित्र होता है यह सबसे पहले अंग्रेजों ने भांप लिया था और ब्राह्मणों को जज बनने पर ही रोक लगा दी थी। आपने न्यायालय ही नहीं सारा देश ही उनके हाथों में सौंप दिया है आप उनके शासन के आधीन हो अधिकारों के लिए धरना प्रदर्शन करते रहिए लाठी डंडा गोली खाते रहिए जेल जाते रहिए और अपनी गरीबी लाचारी को पूर्वजन्म का फल मानते रहिए अगला जन्म बेहतर हो उसके लिए जन्म से मृत्यु तक ब्राह्मणों के बनाए नियम कायदों का पालन एवं व्रत उपवास कर्मकांड तीर्थ यात्रा आदि करते रहिए पसीना बहाकर जो थोड़ा बहुत कमा पाए वह भी मंदिरों की दानपेटियों में डालते रहिए उनके बनाए त्योहारों पर दिल खोलकर खर्च करते रहिए और हां हिन्दू बनकर मुसलमानों से लड़ते रहिए यह आज के ब्राह्मण धर्म का अत्यावश्यक एवं सर्वाधिक पुण्य देने वाला कर्म है। हो सकता है भूदेवों को अपने अवैतनिक सिपाहियों पर दया आ जाए और एससी एसटी ओबीसी के सारे संवैधानिक अधिकार प्रतिनिधित्व वगैरह बहाल कर दें।
धार्मिक बनकर अधिकारों की लड़ाई यहीं तक पहुंच सकती है। हां वास्तव में अधिकार और मान सम्मान चाहिए स्वाभिमान संपन्न गरिमा मय जीवन चाहिए तो उस धर्म को लात मारना ही होगा जो आपको नीच बनाता है, अधिकार विहीन बनाता है, कदम कदम पर आपके स्वाभिमान पर चोट करता है, आपको चार ही काम करना है वे सत्ताधारी बनने के लिए एससी एसटी ओबीसी को हिन्दू बनाते हैं आपको एससी एसटी ओबीसी में बहुजनवाद की भावना को जगाना होगा। वे भक्ति की धारा को मजबूत करते हैं आप ध्यान की धारा अर्थात बुद्धि विवेक जगाने की, स्वयं को जानने की धारा को मजबूत करिए हर सार्वजनिक कार्यक्रम की शुरुआत दो मिनट की ध्यान साधना से करिए। वे जातिगत भेदभाव को बनाए रखकर विषमता वादी मनुस्मृति को स्थापित करने के लिए प्रयास करते हैं आपको संविधान के मूल्यों समता स्वतंत्रता बन्धुत्व और न्याय को स्थापित करने का प्रयास करना होगा हर सार्वजनिक कार्यक्रम का समापन संविधान की उद्देशिका पढ़कर करनी होगी।
वे हर माध्यम से अपने काल्पनिक आदर्शों को स्थापित करने का प्रयास करते हैं आपको अपने वास्तविक समतावादी महापुरुषों फुले, साहू, अंबेडकर, पेरियार, ललई सिंह यादव, जगदेव प्रसाद, कुशवाहा, महामना, रामस्वरूप वर्मा, महराज सिंह भारती, बिरसा मुंडा आदि के विचारों उनके संघर्षों को जनजन तक पहुंचाना होगा इस तरह आज के सत्ताधारी अल्पसंख्यक और आप बहुसंख्यक होते चले जायेंगे लोकतंत्र में बहुमत का शासन होता है अल्पसंख्यक बहुसंख्यकों पर शासन कर रहे हैं यह बहुसंख्यकों के धार्मिक होने का ही परिणाम है जिस दिन बहुजन धर्म छोड़कर समतावादी महापुरुषों के बताए महामार्ग पर चलने लगेंगे उन्हें भारत का सत्ताधारी बनने से कोई नहीं रोक सकता। फिर बहुजनों को अधिकार मांगने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि शासक वर्ग को अधिकार पाने के लिए आंदोलन करने की जरूरत नहीं पड़ती। सवर्णों के लिए 10% EWS आरक्षण का उदाहरण आपके सामने है। एक बात छूट गई कि ओबीसी एससी एसटी जब तक धर्म का विरोध न करके अधिकारों की ही बात करते थे तब तक मजबूत हो रहे थे जबसे धर्म का विरोध करना शुरू किए धर्म के समर्थक मजबूत होते गए और हम पैदल होते गए।
पहली बात तो तब जो हमारी मजबूती दिख रही थी वह अस्थाई थी जो धर्म के समर्थकों के राम मंदिर आंदोलन का झटका भी नहीं झेल पाई और सारी मजबूती जो ऊपर ऊपर दिख रही थी ढह गई अभी जो हमारे अधिकारों पर चौतरफा हमला दिख रहा है यह बहुजन समाज के धर्म के पीछे की ब्राह्मणी षड्यंत्र को समझने उसका भंडाफोड़ करने के कारण ब्राह्मणी छावनी में मची बौखलाहट का नतीजा है क्योंकि कुछ बहुजन भले न समझ पाए हों किन्तु धर्म के सहारे भारत में ब्राह्मणशाही स्थापित करने वाले ब्राह्मण अच्छी तरह समझ गए हैं कि जिस गति से एससी एसटी ओबीसी जाग रहे हैं। अब उनका धार्मिक षड्यंत्र और उसकी बदौलत टिकी ब्राह्मण शाही अब ज्यादा दिन तक चलने वाली नहीं है। यहां तक कि शायद आगे चलकर ईवीएम का सहारा भी छिन जाय इसलिए जल्दी जल्दी जितना लूट सको लूट लो हड़प सको हड़प लो हो सकता है यह अंतिम अवसर हो।
लेखक: चन्द्र भान पाल (बी एस एस)
0 Comments so far
Jump into a conversationNo comments found. Be a first comment here!
Your data will be safe! Your e-mail address will not be published. Also other data will not be shared with third person.
All fields are required.