Caste and inter-caste marriage

जातीय व अन्तर्जातीय विवाह व इन सम्बन्धों का महत्व

By Ritu Bhiva March 2, 2022 03:09 0 comments

 चुम्बक की शक्ति से कोई अनभिज्ञ नहीं है। हाँ, शिक्षा के अभाव में जो लोग  निरक्षर रह गये हैं, शायद उन्हें चुम्बक के बारे में कोई ज्ञान नहीं होगा। कहीं कहीं पर पत्थर और पहाड़ भी चुम्बकीय ताकत से भरपूर हैं। उड़ने वाले जहाजों को भी ये शक्ति प्रभावित करती है। इसलिये जब भी कभी हवाई जहाज चुम्बकीय शक्ति वाली पहाड़ियों के ऊपर से गुजरते हैं तो उस समय पायलट को बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। इस चुम्बकीय ताकत में जो गुण होते हैं उसकी वजह से विज्ञान ने अनेक क्षेत्रों में विलक्षण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। मानव निर्मित चुम्बक में नार्थ पोल (उत्तरी ध्रुव) और साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) होते हैं। विज्ञान के विद्यार्थियों ने प्रयोगशालाओं में अवश्य देखा होगा कि एक चुम्बक का नार्थ पोल दूसरे चुम्बक के नार्थ पोल के निकट जाता है तो वे एक दूसरे से दूर हटते हुये दिखाई पड़ते हैं और जब नार्थ पोल साउथ पोल के निकट आता है तो वे एक दूसरे को आकर्षित करते हैं तथा दोनों पोल एक साथ चिपक जाते हैं। जब चुम्बकीय शक्ति समाप्त हो जाती है तो दोनों ध्रुवों का परस्पर आकर्षित होना समाप्त हो जाता है अर्थात चुम्बकों के उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव प्रभाव हीन हो जाते हैं।

जिन लोगों ने जातियों को स्थायित्व प्रदान किया है, सम्भवतः उन्होंने इस चुम्बकीय ताकत से बहुत कुछ सीखा होगा। जिस तरह से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपने समान वाले से दूर भागता है और उनकी चुम्बकीय शक्ति उनको परस्पर दूर धकेलती है। ठीक उसी प्रकार जो आकर्षण की ताकत है वह विपरीत शक्ति वाले से ही अर्जित की जा सकती है। अगर ये मूल समाज के लोग अपने से विपरीत जाति वाले से सम्बन्ध स्थापित कर लेंगे तो इनकी चुम्बकीय शक्ति बढ़ सकती है। इसके बढ़ने से इनमें आकर्षण भी बढ़ सकता है और उनकी समाज के लिये उपयोगिता भी बढ़ सकती है। यदि ऐसा सम्भव हो सकता है तो इनको गुलाम बनाने वाले लोग इन्हें गुलाम बना कर नहीं रख सकते हैं। इसलिये इनमें हमेशा ऊँच नीच की भावना उत्पन्न करते रहते हैं और ये लोग चुम्बक की तरह एक ही मूल के होने के कारण एक दूसरे से दूर हटते या भागते रहते हैं। अगर इनके अन्तर्जातीय सम्बन्ध (विवाह सम्बन्ध) विकसित होने लगते हैं तो इनकी ताकत में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो सकती है।
 
अगर मूल समाज के लोगों को अपनी क्षमता में वृद्धि करनी है तो उन्हें अन्तर्जातीय सम्बन्ध (विवाह सम्बन्ध) स्थापित करने होंगे। ऐसा करने से इनमें स्वतः चुम्बकीय शक्ति (आकर्षण) उत्पन्न होगी फिर इन्हें कोई गुलाम बनाने की सोच भी नहीं सकता है। हाँ, हमेशा अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास अवश्य कर सकता है। अतः मूल समाज के लोगों को अपने अन्दर चुम्बकीय शक्ति उत्पन्न करने का प्रयास प्रारम्भ कर देना चाहिए जिससे वे अपने समाज के साथ साथ दूसरों की भी मदद करने में सक्षम हो सकें।

ये वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बातें हैं इन्हें आम लोग या सवर्ण समाज के आम लोग समझने में असमर्थ हैं। इसीलिए आम लोग अन्तर्जातीय विवाह का विरोध करते हुये नजर आते हैं लेकिन सवर्ण समाज के धनी लोग इस तथ्य से परिचित हैं इसीलिए वे अन्तर्जातीय विवाह तो दू्र अपितु अन्तर्धर्मीय विवाह करने में भी परहेज नहीं करते हैं। मुगल काल में ऐसा सैकड़ों उदाहरण मिल जायेंगे जब क्षत्रिय कहे जाने वाले राजे महाराजे अपनी बेटियों की शादी मुगलों के यहाँ बड़ी धूम धाम से करते थे और अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते थे।
 
बुद्ध काल में भी जातियाँ थीं। उस समय की भाँति आज भी कोली जाति और शाक्य जाति अलग अलग हैं। एक का व्यवसाय कपड़ा बुनने का था और दूसरे का शाक भाजी उगाने का। मगर उनमें भी शादी सम्बन्ध स्थापित होते थे। आज भी जो लोग जाति के विनाश में लगे हुये अपने समय को बरबाद कर रहे हैं। उन्हें जाति बनी रहने पर भी इन अन्तर्जातीय विवाह सम्बन्धों को बढ़ावा देना चाहिये जिससे एक प्रारम्भिक प्रक्रिया को जीवन दान मिल सके।अगर लोग ऐसा समझते हैं कि जिसने जातियों का निर्माण किया है वही इनका विनाश करेगा तो वह ऐसा करने वाला नहीं है। इसलिये जाति के विनाश को छोड़ देना चाहिये और परस्पर अन्तर्जातीय सम्बन्ध (विवाह सम्बन्ध) स्थापित होने के बाद वह प्रक्रिया अपने आप प्रारम्भ हो जायेगी।

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