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धम्म ध्वज की स्थापना व विश्व बौद्ध ध्वज का महत्व

By Manoj Bhiva February 21, 2022 05:23 0 comments

बौद्ध जगत में 8 जनवरी 1880 का दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन ”धम्म ध्वज” की स्थापना हुई थी। यह धम्म ध्वज सम्पूर्ण विश्व को शांति प्रगति मानवतावाद और समाज कल्याण की सदैव प्रेरणा देता है।

धम्म का प्रचार और प्रसार के लिए सम्पूर्ण विश्व में बौद्ध धम्म का एक ही प्रतीक होना चाहिए इसी विचार के साथ श्रीलंका के मे बौद्ध ध्वज की रचना की गयी। बौद्ध ध्वज के रचना की बात की जाए तो उसमे नीला, पीला, लाल, सफ़ेद और केसरी इन रंगों का प्रयोग किया गया।

विश्व बौद्ध ध्वज पहली बार 1885 में श्रीलंका में फहराया गया था। बौद्ध ध्वज बौद्ध धम्म का प्रतिनिधित्व करता है और यह दुनिया भर में आस्था और शांति का प्रतीक है।

बौद्ध ध्वज के जनक और पहले अमेरिकी बुद्धिस्ट, सेवानिवृत्त कर्नल हेनरी स्टील ओलकोट थे । बौद्ध ध्वज या पंचशील ध्वज के निर्माण मे इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। श्रीलंका मे इन्होने बौद्ध धम्म के पुनरुत्थान का काम किया है। साथ ही श्रीलंका में करीब 400 बौद्ध स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की। इसलिए हेनरी स्टील ओलकोट को श्रीलंका मे धार्मिक, राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए आज भी नायक के रूप मे जाना जाता है।

1880 मे हेनरी स्टील ओलकोट श्रीलंका गए थे। वहा उन्होने बौद्ध धम्म स्वीकार किया। सन 1885 मे बौद्ध ध्वज के निर्मिति के लिए बनाई गयी समिति मे एक सलाहकार के रूप मे काम किया। उनके द्वारा डिज़ाइन किया गए बौद्ध ध्वज को वैश्विक तौर पर बुद्धिस्ट देशो मे मान्यता मिली और स्वीकार भी किया गया। झंडे को मूल रूप से कोलंबो समिति, श्रीलंका ने 1885 मे डिजाइन किया गया था। इस समिति में हिक्कादुवे सुमंगला थेरा (अध्यक्ष), मिगेट्टूवट्टे गुनानंद थेरा, डॉन कैरोलिस हेवेविथराना, एंड्रिस पेरेरा धर्मगुणवर्धना, चार्ल्स ए डी सिल्वा, पीटर डे एब्रेव, विलियम डे एब्रेव, एच विलियम फर्नांडो, एन.एस. फर्नांडो और कैरोलिस पूजिथा गुणवर्धना (सचिव) आदि लोग थे।

बौद्ध ध्वज को सर्वप्रथम 28 मई 1885 मे वैशाख पुर्णिमा के दिन सार्वजनिक रूप से लहराया गया था।1952 मे जो बौद्ध वैश्विक परिषद मे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध ध्वज के रूप मे स्वीकृत किया।

नीला रंग — यह रंग शांति, दयालु स्वभाव एवं प्रेम का प्रतिक है।

पीला रंग — यह रंग तेज और उत्साह का प्रतिक है। यह रंग मध्यम मार्ग को प्रदर्शित करता है। बुद्ध के आत्मज्ञान से मिलने वाला प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है।

लाल रंग — यह रंग ज्ञान, सदाचार, गरिमा और साहस का प्रतिक है।

सफेद रंग — शुद्धता और निर्मलता का प्रतिक है, यह वास्तविक जीवन को प्रदर्शित करता है।

 केसरी रंग — त्याग और करुना का प्रतिक है, यह रंग बुद्ध के ज्ञान की शक्ति और धर्म के समृद्ध अर्थ और उसकी चमक को प्रदर्शित करता है।


क्षैतिज को समांतर पट्टिया सद्भाव, शांति और खुशी में दुनिया के लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं और 5 वर्णक्रम के संयोजन से बनी छटवी पट्टी बौद्ध समुदाय के निरंतर शांति को दर्शाती हैं।इस पट्टी पर 5 रंगो का एक संयोजन बना है वर्णक्रम बुद्ध की शिक्षाओं के सार्वभौमिक सत्य का प्रतिनिधित्व करता है।

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