धार्मिक मान्यताओं के भारत देश के विकास पर एक नजर
By Ritu Bhiva March 13, 2022 04:38 0 commentsधार्मिक मान्यताओं के आगे किसी देश का विज्ञान कितना पनपा पिछले कुछ आंकड़ों से इसके इतिहास पर एक नज़र डालते हैं। 250 वर्ष का इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि आधुनिक विश्व मतलब 1800 के बाद जो दुनिया में वैज्ञानिक तरक़्क़ी हुई, उसमें पश्चिमी मुल्कों यानी सिर्फ यहूदी और ईसाई पृष्ठभूमि के लोगों का ही हाथ है। हिन्दू और मुस्लिम का इस विकास मे 1% का भी योगदान नहीं दिखाई पड़ता है।
आप देखिये के 1800 से लेकर 1940 तक हिंदू और मुसलमान सिर्फ बादशाहत या गद्दी के लिये ही लड़ते रहे। अगर आप दुनिया के 100 बड़े वैज्ञानिको के नाम लिखें तो बस एक या दो नाम हिन्दू और मुसलमान के मिलेंगे। पूरी दुनिया में आज 57 से अधिक इस्लामी मुल्क है, जिनकी जनसंख्या 1.50 अरब के करीब है, और कुल 435 यूनिवर्सिटी है जबकि मस्जिदें अनगिनत।
दूसरी तरफ हिन्दू की जनसंख्या 1.26 अरब के क़रीब है और 385 यूनिवर्सिटी है जबकि मन्दिर 30 लाख से अधिक। अकेले अमेरिका मे 3 हज़ार से अधिक और जापान मे 900 से अधिक यूनिवर्सिटी है जबकि इंगलैंड और अमेरिका दोनों देशों में करीब 200 चर्च भी नही हैं। इससे प्रतीत होता है कि हम जिस चीज़ का अधिक निर्माण करेंगे, उसी का उपयोग भी अधिक होगा।
ईसाई दुनिया के 45% नौजवान यूनिवर्सिटी तक पहुंचते हैं। वहीं मुसलमान नौजवान 2% और हिन्दू नौजवान 8 % तक यूनिवर्सिटी तक पहुंचते हैं। दुनिया के 200 बड़ी यूनिवर्सिटी मे से 54 अमेरिका, 24 इंग्लेंड, 17 ऑस्ट्रेलिया, 10 चीन, 10 जापान, 10 हॉलॅंड, 9 फ़्राँस, 8 जर्मनी, 2 भारत और 1 इस्लामी मुल्क में हैं जबकि शैक्षिक गुणवत्ता के मामले में विश्व की टॉप 200 में भारत की एकाध यूनिवर्सिटी ही कोई आती हो?
अब हम आर्थिक रूप से देखते है। अमेरिका का जी.डी.पी 14.9 ट्रिलियन डॉलर है। जबकि पूरे इस्लामिक मुल्क का कुल जी.डी.पी 3.5 ट्रिलियन डॉलर है। वहीं भारत का 1.87 ट्रिलियन डॉलर है। दुनिया मे इस समय 38000 मल्टिनॅशनल कम्पनियाँ हैं। इनमे से 32000 कम्पनियाँ सिर्फ अमेरिका और युरोप में हैं।
अब तक दुनिया के 10000 बड़े अविष्कारों मे 6103 अविष्कार अकेले अमेरिका में और 8410 अविष्कार ईसाइयों या यहूदि समूहों ने किये हैं। दुनिया के 50 अमीरो में 20 अमेरिका, 5 इंग्लेंड, 3 चीन, 2 मक्सिको, 2 भारत और 1 अरब मुल्क से हैं। ध्यान यह भी रखें कि वैज्ञानिकों का कोई धर्म नहीं होता है इसलिए यह उपलब्धि ईसाई या यहूदियों की नहीं बल्कि इनके पृष्टभूमि से आये लोगों की है क्योंकि उन्हें अपने क्षेत्र में पर्याप्त अवसर प्राप्त हुये।
भारत में हम हम आरक्षण जैसे विषयों को बीच में लाकर कुतर्क करते हैं। जबकि यह भी जान लीजिये कि खेलों में कोई आरक्षण नहीं बावजूद इसके ओलंपिक खेलों में अमेरिका, चाइना ही सब से अधिक गोल्ड जीतते रहे है। हम अपने अतीत पर गर्व तो कर सकते हे किन्तु व्यवहार से स्वार्थी ही है। आपस में लड़ने पर अधिक विश्वास रखते हैं। मानसिक रूप से हम आज भी अविकसित और कंगाल हैं।
बस हर हर महादेव, जय श्री राम और अल्लाह हो अकबर के नारे लगाने मे हम सबसे आगे हैं। विज्ञान ने चंद्रमा पर पहाड़ खोजे हमारे ज्ञानियों ने चाँद पर दाग खोजे। विज्ञान ने चन्द्र ग्रहण और सूर्यग्रहण की घटना को खोजा हमारे ज्ञानियों ने राहु और केतु से मुक्ति के लिए मंत्र खोजे। विज्ञान ने कल पुर्जे खोजे और विकास की नींव रखी और पाखंड ने पुतले खोजे। जहाँ विज्ञान ने यन्त्र खोजे वहीँ धार्मिक लोग मन्त्रों व आयतों को खोजने में व्यस्त रहा।
विज्ञान ने ग्रहों को खोजा और उनकी गति का अध्ययन किया। शास्त्रों ने ग्रहों को किस्मत बदलने का टोटका बताया, आज विश्व इसमें विज्ञान की तरक्की देख रहा और हिन्दू, मुस्लिम एवं कुछेक अन्य धर्म प्रेमी आज भी धार्मिक राष्ट्र, धार्मिक प्रतीक और धार्मिक बहुसंख्यक बनने को आतुर हैं। धर्म व धार्मिक किताबों में सबकुछ होता तो आज पिछड़ता नहीं। आने वाला समय रोबोट युग होगा, मशीनी युग होगा, जैविक एवं तकनीक युद्ध होंगे, मस्तिष्क का खेल होगा, विज्ञान के सामने सबकुछ बौना होगा। इस दिशा में जो सोचेगा तभी विज्ञान दिवस मनाना व भविष्य चिंतक होना प्रासंगिक होगा।
0 Comments so far
Jump into a conversationNo comments found. Be a first comment here!
Your data will be safe! Your e-mail address will not be published. Also other data will not be shared with third person.
All fields are required.