भारत को आज़ाद हुये लगभग 74 वर्ष हो चुके हैं। इन 74 वर्षों में जाति वयवस्था कमज़ोर तो हुई है, लेकिन पूरी तरह खत्म नही हुई है। इस बात को इन उदाहरणों से समझा जा सकता है:
1. अब भी भारत के हर प्रान्त, हर शहर एवम् हर गाँव में ब्राह्मणों, राजपूतों, वैश्यों और भूमिहारों को ही ऊंचा माना जाता है, जबकी SC, ST तथा OBC समाज के ज्यादातर लोगों को अब भी नीचा ही माना जाता है।
2. अब भी 95% से ज्यादा विवाह तो पूरी तरह जाति के अनुसार ही तय होते हैं। अगर कभी-कभी अन्तरजातीय विवाह होते हैं, तो अपने आपको ऊंची जाति का मानने वाले लोग ऐसे विवाह से बिल्कुल भी खुश नही होते।
3. अब भी अक्सर मकान किराये पर देने से पहले किरायेदार की जाति पूछी जाती है। बल्कि अपने आपको ऊँची जाति का मानने वाले लोग अपने से नीची जाति के लोगों को मकान किराये पर देने से अब भी कतराते हैं।
4. अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में तो अक्सर छोटी-छोटी बातों पर ही SC, ST तथा OBC समाज के लोगों के खिलाफ हमले और साजिशें की जातीं हैं, बल्कि अब भी SC दूल्हे को घोड़ी पर बैठा देखकर काफी सारे हरामखोर लोग नाराज़ हो जाते हैं।
5. कुछ हरामखोर लोग तो ब्राह्मणवाद को बचाने के चक्कर में अब भी पूरी बेशर्मी से SC, ST तथा OBC समाज के लोगों को आपस में लडवाकर खुशियाँ मनाते हैं, कुछ हरामखोर लोगों की खोपड़ी में तो जन्म के समय से ही "पाखंड" नाम का कीड़ा घुस जाता है।
6. टीवी चैनलों में घुसे हुये कुछ गधे तो अब भी सिर्फ SC, ST तथा OBC समाज के आरक्षण के खिलाफ बहस दिखाते हैं, लेकिन वो सुप्रीम कोर्ट में घुसे हुये "ब्राह्मणवाद" के खिलाफ कभी भी कुछ भी नही बोलते हैं। आज भी सुप्रीम कोर्ट में 60% से ज्यादा जज ब्राह्मण जाति के हैं, जबकि ब्राह्मणों की आबादी सिर्फ 3% है। आज भी CBI और खुफिया विभाग में 50% से ज्यादा अफसर ब्राह्मण जाति के हैं, जबकि ब्राह्मणों की आबादी सिर्फ 3% है।
7. आरक्षण का लाभ लेकर अमीर बने SC, ST तथा OBC समाज के ज्यादातर लोग अब भी अपनी कालोनी और अपने ऑफिस में अपनी जाति को छिपाकर रहते हैं, क्योंकि उनकी जाति का खुलासा होते ही उनके सम्मान में भारी गिरावट आ जाती है।
वस्तुतः ऐसे काफी सारे उदाहरण मौजूद हैं, जिनसे साफ जाहिर होता है, कि जाति वयवस्था और ब्राह्मणवाद नाम की बीमारियां आज भी भारत से खत्म नही हुई है। यह एक कड़वा सच है, कि पुलिस, CBI, CID, खुफिया विभाग और न्यायपालिका समेत पूरी सरकारी मशीनरी में अगले 100 साल के लिये बहुजन समाज का 85% आरक्षण लागू किये बिना भारत से जाति वयवस्था और ब्राह्मणवाद खत्म नही हो सकते। लेकिन इसके लिये बहुजन नेताओं का आपसी गठबंधन जरुरी है, वरना पाखंड और अन्धविश्वास फैलाकर दान, दक्षिणा तथा चड़ावा मांगने वाले हरामखोर तो अगले 100 साल तक सुधरेंगे ही नही।
लेखक : डी के सन्त
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