भारत के इतिहास का सच्चा रहस्य, आखिर छुपाया क्यों गया!
By Ritu Bhiva March 28, 2022 03:07 0 commentsसारी दुनिया को भारत का इतिहास (Indian History) पता है अगर कोई भारतीय विदेशियों को अपना इतिहास बताता है तो सभी विदेशी बहुत हंसते है मजाक बनाते है। सारी दुनिया को भारत का इतिहास पता है, फिर भी भारत के 95% लोगों को अँधेरे में रखा गया है। क्योकि अगर भारत का सच्चा इतिहास (True story of History of India) सामने आ गया तो ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों द्वारा समाज के सभी वर्गों पर किये गए अत्याचार सामने आ जायेंगे, और देश के लोग हिन्दू नाम के तथाकथित धर्म की सचाई जानकर हिन्दू धर्म को मानने से इनकार कर देंगे। कोई भी भारतवासी हिन्दूधर्म को नहीं मानेगा ब्राह्मणों का समाज में जो वर्चस्व है वो समाप्त हो जायेगा।
बहुत से लोग ये नहीं जानते कि भारत में कभी देवता थे ही नहीं और न ही असुर थे। ये सब कोरा झूठ है, जिसको ब्राह्मणों ने अपने अपने फायदे के लिए लिखा था, और आज भी ब्राह्मण वर्ग इन सब बातों के द्वारा भारत के समाज के हर वर्ग को बेबकूफ बना रहा है। अगर आम आदमी अपने दिमाग पर जोर डाले और सोचे, तो सारी सच्चाई सामने आ जाती है। ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ईसा से 3200 साल पहले में भारत में आये थे। आज ये बात विज्ञान के द्वारा साबित हो चुकी है। लेकिन ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य इतने चतुर है कि वो विज्ञान के द्वारा प्रमाणित इतिहास और जानकारी भारत के अन्य लोगों के साथ बांटना ही नहीं चाहते। क्योकि अगर ये जानकारी भारत के लोगो को पता चल गई तो भारत के लोग ब्राह्मणों, राजपूतो और वैश्यों को देशद्रोही, अत्याचारी और अधार्मिक सिद्ध कर के देश से बाहर निकल देंगे। भारत के लोगों को सच्चाई पता ना चले इस के लिए आज भी ब्राह्मणों ने ढेर सारे संगठन जैसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी बना रखे है। हजारों धर्मगुरु बना रखे है जो सिर्फ ढोग, पाखंड और भारत के लोगों को झूठ बता कर अँधेरे में रखते है, क्यों रखते है? ताकि भारत के 95% लोगों को भारत का सच्चा इतिहास पता ना चल जाये। और वो 95% लोग ब्राह्मणों को देशद्रोही करार दे कर भारत से बाहर ना निकल दे भारत से ब्राह्मणों का वर्चस्व ही खत्म ना हो जाये।
यह भारत के सच्चे इतिहास की शुरुआत है तो यहाँ कुछ बातों पर प्रकाश डालना बहुत जरुरी है। ताकि लोगों को थोडा तो पता चले कि आखिर ब्राह्मणों, क्षत्रियो और वैश्यों ने भारत में आते ही, क्या किया जिस से उनका वर्चस्व भारत पर कायम हो पाया :
(1) ईसा से 3200 साल पहले भारत में रुद्रों (बौद्धों) का शासन हुआ करता था। भारत में एक विदेशी जाति आक्रमण करने और देश को लूटने के उदेश्य आई। वह जाति मोरू से यहाँ आई जिनको “मोगल” कहा जाता था। मोरू प्रदेश, काला सागर के उत्तर में यूरेशिया को बोला जाता था। यही यूरेशियन लोग कालांतर में पहले “देव” और आज स्वर्ण कहलाते है। यूरेशियन लोग भारत पर आक्रमण के उदेश्य से यहाँ आये थे। लेकिन भारत में उस समय गण व्यवस्था थी, जिसको पार पाना अर्थात जीतना युरेशिनों के बस की बात नहीं थी। भारत के मूल-निवासियों और यूरेशियन आर्यों के बीच बहुत से युद्ध हुए। जिनको भारत के इतिहास और वेद पुराणों में सुर-असुर संग्राम के रूप में लिखा गया है। भारत की शासन व्यवस्था दुनिया की श्रेष्ठतम शासन व्यवथा थी। जिसे गण व्यवस्था कहा जाता था और आज भी दुनिया के अधिकांश देशों ने इसी व्यवस्था को अपनाया है। ईसा पूर्व 3200 के बाद युरेशियनों और मूलनिवासियों के बीच बहुत से युद्ध हुए जिन में यूरेशियन आर्यों को हार का मुंह देखना पड़ा।
(2) पिछले कई सालों में भारत में इतिहास विषय पर हजारों शोध हुए। जिस में कुछ शोधों का उलेख यहाँ किया जाना बहुत जरुरी है। जैसे संस्कृत भाषा परशोध, संस्कृत भाषा के लाखों शब्द रूस की भाषा से मिलते है। तो यह बात यहाँ भी सिद्ध हो जाती है ब्राहमण यूरेशियन है। तभी आज भी इन लोगों की भाषा रूस के लोगों से मिलती है। कालांतर में यूरेशिया में इन लोगों का अस्तिव ही मिट गया तो भारत में आये हुए युरेशियनों के पास वापिस अपने देश में जाने रास्ता भी बंद हो गया और यूरेशियन लोग भारत में ही रहने पर मजबूर हो गए। युरेशियनों को मजबूरी में भारत में ही रहना पड़ा और आज यूरेशियन भारत का ही एक अंग बन गए है, जिनको आज के समय में स्वर्ण(ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य) कहा जाता है।
(3) ईसा पूर्व 3200 में यूरेशिया से आये लोगों की चमड़ी का रंग गोरा था आँखों का रंग हल्का था और इनकी खोपड़ी लम्बाई लिए हुए थी। स्वर्ण यूरेशिया से आये है यह बात 2001 में प्रसिद्ध शोधकर्ता माइकल बामशाद ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय में भारत की सभी जातियों के लोगों का DNA परिक्षण करके सिद्ध कर दी थी। DNA परिक्षण में यह बात साफ़ हो गई थी कि क्रमश: ब्राह्मण का 99.90% , क्षत्रिय का 99.88% और वैश्य का 99.86% DNA यूरेशियन लोगों से मिलता है। बाकि सभी जाति के लोगों का DNA सिर्फ भारत के ही लोगों के साथ मिलाता है।
(4) जब यूरेशियन भारत में आये तो यह आक्रमणकारी लोग नशा करते थे। जिसको कालांतर में “सोमरस” और आज शराब कहा जाता है। यूरेशियन लोग उस समय सोमरस पीते थे तो अपने आपको “सुर” और अपने समाज को “सुर समाज” कहते थे। यूरेशियन लोग ठंडे प्रदेशों से भारत में आये थे, ये लोग सुरापान करते थे तो इन लोगों ने भारत पर कुटनीतिक रूप से विजय पाने के लिए अपने आपको देव और अपने समाज को देव समाज कहना प्रारम्भ कर दिया।
(5) भारत के लोग अत्यंत उच्च कोटि के विद्वान हुआ करते थे। इस बात का पता गणव्यवस्था के बारे अध्ययन करने से चलता है। आज जिस व्यवथा को दुनिया के हर देश ने अपनाया है, और जिस व्यवस्था के अंतर्गत भारत पर सरकार शासन करती है। वही व्यवस्था 3200 ईसा पूर्व से पहले भी भारत में थी । पुरे देश का एक ही शासन कर्ता हुआ करता था। जिसको गणाधिपति कहा जाता था। गणाधिपति के नीचे गणाधीश हुआ करता था और गणाधीश के नीचे विभिन्न गणनायक हुआ करते थे जो स्थानीय क्षेत्रों में शासन व्यवस्था देखते या संभालते थे। यह व्यवस्था बिलकुल वैसी थी। जैसे आज भारत का राष्ट्रपति, फिर प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री के नीचे अलग अलग राज्यों के मुख्मंत्री। कालांतर में भारत पर रुद्रों का शासन हुआ करता था। भारत में कुल 11 रूद्र हुए जिन्होंने भारत पर ईसा से 3200 साल के बाद तक शासन किया। सभी रुद्रों को भारत का सम्राट कहा जाता था और आज भी आप लोग जानते ही होंगे कि शिव से लेकर शंकर तक सभी रुद्रों को देवाधिदेव, नागराज, असुरपति जैसे शब्दों से बिभुषित किया जाता है। रुद्र भारत के मूलनिवासी लोगों जिनको उस समय नागवंशी कहा जाता था पर शासन करते थे। इस बात का पता “वेदों और पुराणों” में वर्णित रुद्रों के बारे अध्ययन करने से चलता है। आज भी ग्यारह के ग्यारह रुद्रों को नाग से विभूषित दिखाया जाता है। नागवंशियों में कोई भी जाति प्रथा प्रचलित नहीं थी। इसी बात से पता चलता है कि भारत के लोग कितने सभ्य, सुशिक्षित और सुशासित थे। इसी काल को भारत का “स्वर्ण युग” कहा जाता था और भारत को विश्व गुरु होने का गौरव प्राप्त था।
(6) असुर कौन थे? ये भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है। क्योकि भारत के बहुत से धार्मिक गर्न्थो में असुरों का वर्णन आता है। लेकिन ये बात आज तक सिद्ध नहीं हो पाई कि असुर थे भी या नहीं, अगर थे, तो कहा गए ? और आज वो असुर कहा है? इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए हमे वेदों और पुराणों का अध्ययन करना पड़ेगा। आज भी हम खास तौर पर “शिवमहापुराण” का अध्ययन करे तो असुरों के बारे सब कुछ स्पष्ट हो जाता है। असुराधिपति भी रुद्रों को ही कहा गया है। शिव से लेकर शंकर तक सभी रुद्रों को असुराधिपति कहा जाता है। आज भी रुद्रों को असुराधिपति होने के कारण अछूत या शुद्र देवता कहा जाता है। कोई भी ब्राह्मण रूद्र पूजा के बाद स्नान करने के बाद ही मंदिरों में प्रवेश करते है, या गंगा जल इत्यादि अपने शरीर पर छिड़क कर दुसरे देवताओं की पूजा करते है। नागवंशी लोग सांवले या काले रंग के हुआ करते थे और नागवंशी सुरापान नहीं करते थे। आज भी आपको जगह जगह वेदों और पुराणों में लिखा हुआ मिल जायेगा कि नाग दूध पीते है कोई भी नाग “सुरा” अर्थात शराब का सेवन नहीं करते थे। अर्थात भारत के मूल निवासी कालांतर में असुर कहलाये और आज उन्ही नागवंशियों को शुद्र कहा जाता है।
(7) युरेशियनों ने भारत कूटनीति द्वारा भारत की सत्ता हासिल की और पहले तीन महत्वपूर्ण नियम बनाये जिनके कारण आज भी ब्राहमण पूरे समाज में सर्वश्रेठ माने जाता है।
वर्ण व्यवस्था (Varna System)
युरेशियनों ने सबसे पहले वर्ण व्यवस्था (ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र) को स्थापित किया अर्थात यूरेशियन साफ रंग के थे तो उन्हों ने अपने आपको श्रेष्ठ पद दिया यूरेशियन उस समय देवता कहलाये और आज ब्राह्मण कहलाते है। भारत के लोग देखने में सांवले और काले थे तो मूल निवासियों को नीच कोटि का (शुद्र) बना दिया गया।
जाति व्यवस्था (Caste System)
400 ईसा पूर्व या उस से पहले भारत के मूलनिवासियों को स्थान और रंग के आधार पर 3000 जातियों में बांटा गया। आधार बनाया गया वेदों और पुराणों को, जिनको यूरेशियन ने संस्कृत में लिखा। भारत के मूल निवासियों को संस्कृत का ज्ञान नहीं था तो उस समय जो भी यूरेशियन बोल देते थे उसी को भारत के मूलनिवासियों ने सच मान लिया। जिस भी मूलनिवासी राजा ने जाति प्रथा का विरोध किया उसको युरेशियनों ने छल कपट या प्रत्यक्ष युद्धों में समाप्त कर दिया। जिसका वर्णन सभी वेदों और पुराणों में सुर-असुर संग्रामों के रूप में मिलाता है। लाखों मूलनिवासियों को मौत के घाट उतारा गया, कालांतर में उसी जाति प्रथा को 3000 जातियों को 7500 उप जातियों में बांटा गया।
शिक्षा-व्यवस्था (Education System)
इस व्यवस्था के अंतर्गत युरेशियनों ने भारत के लोगों के पढ़ने लिखने पर पूर्ण पाबन्दी लगा दी कोई भी भारत का मूलनिवासी पढ़ लिख नहीं सकता था सिर्फ यूरेशियन ही पढ़ लिख सकते थे, इसलिए जागने के रास्ते बंद हो गए। इसलिए सर्वबुद्धिमान मुलनिवासी कह गए "शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो"।
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