बसपा पार्टी का निर्माण किस विचारधारा से किया गया था?
By Ritu Bhiva April 1, 2022 07:51 0 commentsबहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब ने अल्पजन की विचारधारा से नहीं सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय की विचारधारा के तहत बसपा का किया है निर्माण। मान्यवर कांशीराम जब बसपा का किया निर्माण तब कांग्रेसी नेता राजीव गांधी कांग्रेस से खिसक कर बसपा की तरफ लामबंद हो रहे दलितों को तोड़ने के लिए खरीदे थे। कांशीराम साहेब के कुछ साथियों को, जो आज तक बसपा का विरोध करते हैं यह बिकाऊ दलाल। मान्यवर कांशीराम साहेब जब बामसेफ और डीएसफोर बनायी थी, जो अराजनैतिक संगठन था, तब किया था पंद्रह छोड़-पचासी जोड़ की बात। बसपा बनाने के साथ मान्यवर साहेब ने सर्वजन समाज को जोड़ने के लिए जयंत मल्होत्रा को बनाया था राज्यसभा सांसद। बसपा की पहली सरकार में रामवीर उपाध्याय सहित कई सामान्य वर्ग के लोगों को बनाया था मन्त्री और विधायक। जिस प्रकार हिंदूवादी भाजपा हिंदुत्व की बात तो करती है लेकिन यह कभी नहीं कहती की भागो मुस्लिम पाकिस्तान। जो भी मुस्लिमों का भारत में विरोध करता है वह भाजपाई नहीं दंगाई ही हो सकता है। इसी तरह दलित-शोषित समाज की हितैषी बसपा कभी-भी ब्राह्मण विरोधी नहीं रही है, सर्वजन समाज के सहयोग से बसपा ने चार बार सरकार बनायी है। आज जो ब्राह्मण को विदेशी कहते हैं वह भारत में बैमनुष्यता पैदा करने वाले देशद्रोही हैं, उनकी भारत से ब्राह्मणों को भगाने की नहीं है औकात। बसपा को किसी सामान्य वर्ग ने वोट नहीं दिया तो वह तोड़ा भी नहीं है। बसपा को कमजोर उन दलित समाज के लोगों ने किया जो कभी संगठित होकर रह नहीं सकते। बसपा बनते ही सरदार तेजेन्द्र सिंह झल्ली की अगुवाई में बामन मेश्राम-बीडी बोरकर-डीके खापर्डे आदि लोगों ने मान्यवर साहेब का विरोध कर बसपा में न रहने और बामसेफ चलाने का निर्णय लिया।
बसपा विरोधियों ने सबसे पहले बामसेफ का नारा जय भीम-जय भारत को हटाकर जय मूलनिवासी का नारा बोलना शुरू किया। मान्यवर कांशीराम साहेब ने जब दलित शोषित समाज संघर्ष समिति बनाया था, तब बामन मेश्राम भी मान्यवर साहेब के पिछलग्गू थे। जब अलग हुए तो दलित शब्द असंवैधानिक कह कर विरोध करने लगे। बसपा का विरोध करने के साथ-साथ मान्यवर कांशीराम साहेब के विरोधी आज बामसेफ के बैनर में कांशीराम की तस्वीर सजा कर दलितों का नेता बनने की जुगत कर रहे हैं। बामन मेश्राम के चेले जिनका कभी-भी बसपा से कोई लेना-देना नहीं था, इस चुनाव में भी सपा का सहयोग कर बसपा को मात देने का काम किया है, वह बहन कुमारी मायावती जी के खिलाफ कर रहे हैं अनर्गल प्रलाप। बामन मेश्राम कभी-भी दलितों का नेता नहीं बन सकता, उसने एक की जगह चार बामसेफ बनवायी है। पहले चार टुकडा़ में बंटी बामसेफ को एक करके तो दिखाये।
बहन कुमारी मायावती जी एवं बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब ने बसपा से अलग हुए गद्दारों का नाम लेकर उनकी चर्चा करना भी गुनाह समझते थे। लेकिन बसपाइयो को दलित समाज के गद्दारों का इतिहास बताना जरूरी हो गया है। यदि चमचों और दलालों का इतिहास न उजागर हुआ तो दलाल भावी पीढ़ी की नजर में ईमानदार और बहन कुमारी मायावती बाबा साहेब और मान्यवर साहेब को यह चमचे कर देंगे इतिहास के पन्नों में बदनाम। मैं कुछ दिनों से बामन मेश्राम के बामसेफ के खिलाफ इसलिए लिख रहा हूं की बामन मेश्राम भाजपा-सपा-कांग्रेस से भी बड़ा दलितों का नुकसान कर रहा है। जिनके बाप को बसपा ने शान से जीना सिखाया था, बामन मेश्राम उन्हीं की औलादों को बसपा का दुश्मन बनाकर बसपा को खत्म करने का षडयन्त्र कर रहा है।
लेखक: बौद्धाचार्य अर्थदर्सी भंगी राजतिलक
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