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दारु की बोतल - समाज के लिए एक प्रेरणादायक कहानी

By Ritu Bhiva March 24, 2022 10:01 0 comments

 एक ठाकुर के खेत में बहुत सारी घास हो गई,  उसको साफ करने के लिए मजदूर चाहिए था। उसने अपने बेटे को गाँव में भेजा,  मजदूर मिल गया जो कि दलित था। वो मजदूर एकदम ठाकुर की  घास साफ करने के लिए तैयार हो गया, ठाकुर ने पूछा बोल भाई  कितने दिन में साफ कर देगा औऱ कितने पैसे लेगा। मजदूर ने कहा  साहब मैं इसे  एक दिन में ही साफ कर दूँगा और 200 रुपये  मजदूरी लूँगा। तब ठाकुर ने कहा पैसों का क्या करेगा?  मेरे पास सेना की कैन्टीन से लाई हुई दारु की बोतल है जो 1000 रुपये की है। अगर मंजूर हो तो वो ले जाना। दलित मजदूर ने फ़ौरन हाँ कर दी औऱ काम पर लग गया।

ठाकुर के बेटे ने अपने पिता से  पूछा आपने इस मजदूर को 200 रुपये की जगह 1000 रुपऐ  की दारु की  बोतल क्यों  देने की सोची।  आपने 800 रुपये का नुकसान नहीं कर लिया अपना?  इस पर उस  ठाकुर ने  अपने  बेटे से  कहा बेटा  इन लोगों को बर्बाद करने का यही एक हथियार है,  और  सदा से यही  हमारी नीति रही है,  जिससे हमें इन के बच्चों का भविष्य बिगाड़  सकते हैं। दारु पीकर यह खुश भी रहेंगे और बुरा भी नहीं मानेंगे,  बेटा और आगे सुनो,  अगर   हम  इस मजदूर को 200 रुपए  नकद दे  देते हैं,  तो ये घर जाते  समय सब्जी,  फल और बच्चों की पढ़ाई के लिए किताब कापी पेन्सिल और अच्छे विचार लेकर जाएगा।  इसके बच्चे पढ़ेंगे और उन्नति करेंगे तो वो तुम्हारे  बराबर ही नहीं तुम से भी ऊपर  चले जायेंगे।  पढ़ लिख कर तुम्हारी नौकरियों पर हाथ मारेंगे,  लेकिन यह दारु की बोतल अपना ही रंग दिखाएगी।  ये बंदा  घर जाने से पहले ही इसे रास्ते में ही पीना शुरू कर देगा। अपने   बीबी बच्चों के लिए कुछ भी नहीं लेकर जाएगा।  जब खाली हाथ जाएगा और बोतल इसके पास होगी तो घर  में झगड़ा होगा,  फिर आसपास के लोग,  इसके मोहल्ले के लोग,  इसकी अपनी जाति के लोग, इससे झगड़ा करेंगे।  बस अपना काम खत्म और इसकी बर्बादी शुरु।  अगर झगड़ा नहीं करेंगे तो कम से कम  इससे बात तो बिल्कुल नहीं करेंगे।  यही तो हम चाहते हैं।  हमें यह मंत्र  हमारे  पुरोहितों और पुजारियों ने दिया है।  इसीलिये हम उनके ऋणी हैं।

ठाकुर बोलता गया,  बोलता गया अत: बेटा  हम इन दलितों को स्कूल,  शिक्षा एवं आपसी प्रेम सद्भाव एकता से  जितना दूर रखेंगे उतना ही फायदे में रहेंगे।  यह मंत्र  मैं तुम्हे दे रहा हूँ।  तुमने आगे अपने बच्चों को देना है,  अगर इन्हें अपना गुलाम बनाए रखना है तो ऐसा ही करते रहना होगा।  बेटा चाहे हमें बेशक नुकसान ही  उठाना पड़े लेकिन इन्हें हमें  बिल्कुल भी नहीं पढ़ने देना चाहिये।  इन्हें संगठित नहीं होने देना चाहिये।  बस यह मंत्र  है इन्हें बर्बाद करने का गांठ बान्ध लो। कहानी अभी खत्म नहीं हुई है, कहानी अभी बाकी है, आगे पढ़े।

कहानी अभी बाकी है

उधर किसान अपने घर पहुंचता है,  और दिनों की अपेक्षा आज उसके पास  बड़ा झोला था,  वह भी एक नहीं दो दो झोले थे,  उसके पहुंचते ही उसके बच्चे उससे लिपट जाते हैं,  घर में जाकर वह अपने बरामदे पर बैठता है,  और बच्चे खुशी के मारे चीखते हैं,  कि पिताजी आप हमारे लिए क्या लाए हैं,  आज तो कुछ ज्यादा ही समान दिख रहा है।  किसान झोले से एक-एक सामान निकालकर दिखाता है,  उसमें कॉपी किताबें,  पेंसिल तथा बच्चे के लिए नया बैग, साथ में पत्नी के लिए एक साड़ी भी थी।  इसके साथ ही साथ बहुत सारा खाने पीने का सामान भी था यह सब देख कर उसका बच्चा चकित रह जाता है,  और बोलता है पिताजी आप तो केवल दिन में 200 से 300 तक ही मजदूरी पाते है आज आप इतना सामान कैसे ले आए,  तो किसान अपने बच्चे को बताता है कि बेटा आज जिस ठाकुर के यहां मैं काम कर रहा था,  वह मेरे और मेरे परिवार के बारे में बुरा सोचता था,  लेकिन मैंने उसके  बुरे को अपने दिमाग से अच्छे में बदल दिया।  इस पर किसान का बेटा बोला पिताजी वो कैसे?

किसान ने कहा,  बेटा वास्तव में आज मैं जहां मजदूरी कर रहा था वहां ₹200 में ही काम तय हुआ था,  परंतु वह जो ठाकुर था उसने कहा कि 1000 की दारू की बोतल लेते जा मेरे पास पैसे नहीं है,  इस पर उसका बेटा बोला पिताजी उसने 200 की मजदूरी के बजाय 1000 की दारू की बोतल क्यों दे दी और अपना क्यों उसने 800 का नुकसान किया। इस पर किसान बोला बेटा उसकी नियत में खोट था।  वह मुझे नगद पैसे नहीं देना चाहता था,  वह चाहता था कि मैं दारु पीकर झगड़ा करूंऔर अपने बच्चों के लिए कुछ खाने पीने को ना ले जाऊं।  पढ़ाई लिखाई की सुख सुविधाएं ना दूं,  ताकि वह पढ़ ना सके परंतु मैं उसकी चाल समझ गया,  और मैंने वह 1000 की बोतल 700 में बेच दी और उस से अपने परिवार के लिए तुम्हारे लिए सब सामान ले आया ताकि तुम लोग आगे बढ़ सको और सुखी  रहो।

अरे वाह पिताजी आप कितने अच्छे हैं,  और हम लोगों और परिवार सब का कितना ख्याल रखते हैं। इस पर किसान बोला बेटा बात ऐसी है,  कि हम और हमारी पीढ़ियां बहुत संघर्ष करके और इसके बाद बाबा साहब की कृपा से कुछ अधिकार पाकर यहां तक पहुंचे हैं,  अतः हमें सदैव सतर्क रहना पड़ेगा,  और अपने दिमाग का इस्तेमाल करना पड़ेगा,  ताकि हम बर्बाद ना हो जाए।  यह कहते हुए उस किसान की आंखों में एक चमक थी,  और उसके बच्चे और पत्नी उसे बड़ी गर्व भरी नजरों से किसान को देख रहे थे। इस पर  किसान का बेटा बोला पिताजी मैं भी खूब पढ़ लूंगा और जीवन भर इस बात का ध्यान रखूंगा कि हमारा समाज कभी पिछड़ने न पाए।


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