Dr. K. R. Narayanan

डॉ. के. आर. नारायणन जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलितों के प्रवेश का रास्ता खोला

By Ritu Bhiva May 21, 2022 04:58 0 comments

संघर्ष से क्रांति तक, उच्च कोटि दलित सख्सियत जो राष्ट्रपति रहते हुए जिन्होने सुप्रीम कोर्ट में दलितों के प्रवेश का रास्ता खोला।  जिनका प्रारंभिक जीवन अनेक कठिनाइयों, निर्धनता और अभावों से भरा हुआ था। किंतु आपके धैर्य, विश्वास और संघर्ष के कारण उन्होंने हर बाधा पर जीत हासिल कर ली। उनके बचपन का नाम कोचिरिल राम नारायणन था। उनका जन्म केरल राज्य के पूर्व रियासत त्रावणकोर में कोट्यम जिले में स्थित उझाउर गांव में 27 अक्टूबर 1920 को हुआ था।

सन् 1945 में नारायणन ने त्रावणकोर विश्वविद्यालय के महाराजा कॉलेज, तिरुअनंतपुरम  से 60 प्रतिशत अंकों के साथ अंग्रेजी आनर्स में बी.ए की परीक्षा पास की, इसी कॉलेज से 1948 में उन्होंने प्रथम श्रेणी (फर्स्ट डिविजन) से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए पास किया। एम.ए पास करने के बाद उन्होंने महाराजा कॉलेज में ही अंग्रेजी प्रवक्ता (लेक्चरार) पद के लिए आवेदन किया। लेकिन त्रावणकोर के दीवान सर सी.पी. रामास्वामी अय्यर ने नारायणन को प्रवक्ता की बजाय क्लर्क के पद पर काम करने को कहा गया, अय्यर के मन में तब जातीय दंभ था और यह विद्वेष की एक दलित आखिरकार प्रवक्ता कैसे हो सकता है। स्वाभिमानी नारायणन ने क्लर्क की नौकरी लेने से साफ मना कर दिया और इसके ठीक बाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में विरोधस्वरूप बी.ए की डिग्री लेने से मना कर दिया।

लेकिन चार दशक बाद सन् 1992 में भारत का उपराष्ट्रपति बनने पर उनके गृह राज्य केरल में केरल विश्वविद्यालय के उसी सीनेट में उनका जोरदार स्वागत किया गया, तब उऩ्होंने अपनी बी.ए की डिग्री ली, उस दौरान तात्कालिक जातिवादियों पर तंज कसते हुए के.आर.नारायणन ने कहा, "आज मुझे उन महापुरुषों के दर्शन नहीं हो रहे हैं, जिन्होंने दलित होने के कारण इस विश्वविद्यालय में मुझे प्रवक्ता बनने से वंचित कर दिया था। हालांकि उन्होंने मुझे प्रवक्ता पद पर नहीं चुन कर अच्छा ही किया क्योंकि तब शायद आज मुझे राष्ट्रपति बनने का सुनहरा अवसर नहीं मिलता, और न ही केरल राज्य को यह गौरव मिलता, मैं उन सभी के प्रति आभार प्रकट करता हूं।"

सन् 1948 में एम.ए करने और प्रवक्ता की नौकरी नहीं मिलने के बाद के. आर. नारायणन दिल्ली में बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर से मिलने गए, बाबासाहेब वायसराय की काउंसिल में श्रम विभाग के सदस्य थे। नारायणन की योग्यता को देखते हुए बाबासाहेब ने उन्हें दिल्ली में ही भारत ओवरसीज विभाग जिसे अब विदेश विभाग कहा जाता है में 250 रुपये प्रतिमाह पर सरकारी नौकरी दिलवा दी। राजनयिक के रूप में डॉ. नारायणन टोकियो, लंदन, आस्ट्रेलिया और हनोई में स्थित भारतीय उच्चायोग में प्रतिष्ठित पदों पर रहे। 1970 में वह चीन के राजदूत नियुक्त हुए। 1978 में रिटायर होने के बाद 3 जनवरी 1979 से 14 अक्टूबर 1980 तक वह देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर रहे, सन् 1980-84 तक वो अमेरिका में भारत के राजदूत रहे।

सभी दलों की सर्वसम्मति से इस पद पर चुने जाने वाले वह शुरुआती उप राष्ट्रपतियों में से थे। 14 जुलाई 1997 को वह भारत के 10वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक वो भारत के राष्ट्रपति पद पर रहे। नारायणन ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने दलितों के लिए उच्चतम न्यायायल के न्यायाधीश बनने का रास्ता खोला। उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ए.एस. आनंद ने नियमानुसार उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों के लिए दस न्यायविद उच्च न्यायालयों के कानून विशेषज्ञों का एक पैनल बनाकर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा। आम तौर पर राष्ट्रपति ऐसी सूची पर अपनी मौन स्वीकृति दे देता है, लेकिन नारायणन जी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने देश के मुख्य न्यायाधीश को यह टिप्पणी लिखते हुए उस फाइल को लौटा दिया कि "क्या इन दस व्यक्तियों के पैनल में रखने के लिए उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों में अनुसूचित जाति और जनजाति का कोई योग्य न्यायाधीश नहीं है?" देश के राष्ट्रपति की इस टिप्पणी से सरकार से लेकर न्यायालय में हड़कंप मच गया। न्यायालय में दलितों और आदिवासियों के प्रतिनिधित्व पर बहस होने लगी। मामला गंभीर हो गया राष्ट्रपति की इस टिप्पणी को नकारने या फिर हल्के में लेने की किसी को हिम्मत नहीं हुई। आखिरकार इस टिप्पणी ने सर्वोच्च न्यायालय में दलितों के प्रवेश का रास्ता खोला, यह डॉ. के.आर. नारायणन के जीवन की महत्वपूर्ण घटना थी, जिसके लिए बहुजन समाज हमेशा उनका ऋणी रहेगा।

जीवन परिचय संबंधित आलेख

Similar Posts From Biography Category

0 Comments so far

Jump into a conversation

    No comments found. Be a first comment here!

Your data will be safe! Your e-mail address will not be published. Also other data will not be shared with third person.
All fields are required.