Nanak Chand Rattu

डॉ. अंबेडकर के सबसे निकटतम नानक चंद रत्तू का जीवन परिचय

By Ritu Bhiva February 9, 2022 03:55 0 comments

नानकचंद रत्तू (Nanak Chand Rattu) जी का जन्म पंजाब प्रांत के होशियारपुर जिले के सकरुली गांव में 6.2.1922 को हुआ। उन्हें बाबासाहेब (Babasaheb Dr. Bhim Rao Ambedkar) के सबसे निकटतम और निष्ठावान निजी सचिव के रुप में जाना जाता है। उन्होंने अपना परिवार, व्यक्तिगत लाभ, सरकारी नौकरी, महत्वकांक्षा और आकांक्षाओं को न्यौछावर करके करीब 17 साल तक, 3.1.1940 से बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण समय 6.12.1956 तक बाबासाहेब को सेवा प्रदान की।

1938 में मैट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात, वे नवंबर 1939 में नौकरी की तलाश में दिल्ली आए। 1941 में भारत सरकार की नौकरी मिलने से पहले उन्हें बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा जो उल्लेख से परे हैं। नौकरी में रहते हुए उन्होंने बी. ए. परीक्षा पास की। बाबा साहेब को सेवा प्रदान करने के लिए उन्होंने अपनी एम. ए. की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।
लाखो पीड़ित जनों के हितों के लिए उन्होंने कष्ट, अपमान, परेशानियां और क्लेशों से गुजरते हुए खुद के लिए सम्मान का स्थान प्राप्त किया है। वे अनुसूचित जाति/बौद्धों के प्यारे, दिलों में इतने प्रबल तरह से रह रहे हैं कि ये लोग उन्हें उनके उद्धारक बाबासाहेब के प्रतिबिंब का उच्च सम्मान देते हैं। छाया की तरह वे बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण तक उनकी पावन संगत में रहे और वे बाबासाहेब के लिए वैसे ही थे जैसे आनंद, बुद्ध के लिए थे।

उन्हें भारत, इंग्लैंड और जर्मनी इत्यादि देशों के अंबेडकरवादी संगठनों द्वारा बाबासाहेब को प्रदान की गई अद्वितीय सेवाओं के लिए तथा सर्वोत्तम गुणों के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता के मान्यता स्वरूप भीम मेडल, भीम रत्न अवार्ड, अंबेडकर सेंटेनरी अवार्ड, भंते आनंद अवार्ड, अंबेडकर रत्न सेंटेनरी अवार्ड, विश्वरत्न डॉ. अंबेडकर भूषण अवार्ड तथा अनेक प्रशंसा पत्रों से नवाजा गया है।  उनको जो अभिनंदन और सम्मान प्राप्त हुए वे अनूठे, शानदार और सौजन्यपूर्ण रहे।

बाबासाहेब के मुक्तिसंग्राम के वीरतापूर्ण, महान, प्रतापी इतिहास में प्रख्यात जीवनीकारों, शोधार्थियों, प्रसिद्ध लेखकों, पत्रकारों ने एक सुवर्ण अध्याय उनके नाम किया है। जिन साहित्यकारों ने रत्तू जी के द्वारा उपलब्ध कराए गई सामग्री और जानकारी के आधार पर बाबासाहेब पर विस्तार से लिखा है उन्होंने रत्तू जी का अपने साहित्य में आभार भी व्यक्त किया है। उनके अथक प्रयासों से नागपुर में निर्मित अंबेडकर संग्रहालय एक ऐतिहासिक स्मारक और विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्थल बनने जा रहा है। इसके अलावा, आगंतुकों की सुविधा के लिए 'अंबेडकर अतिथि गृह' के निर्माण के लिए उनकी कोशिशें प्रशंसनीय है।

29.2.1980 में रत्तू जी केंद्र सरकार से अवर सचिव के पद से निवृत हुए। इस 79 वर्ष के परिपक्व उम्र में भी वे बाबासाहेब के महान मिशन और धम्म के प्रचार प्रसार कार्य से सक्रिय रुप से जुड़े रहे और 15.9.2002 को आयु के 80 वर्ष में उनका निर्वाण हुआ। वे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके कार्य हमें हमेशा बाबा साहेब के कारवां को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देते रहेगे।

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